नवरात्र में शक्ति की देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा होती है। फलस्वरूप आने वाली पीढ़ी को समाज की उन नौ सशक्त महिलाओं द्वारा प्राप्त मुकाम के बाबत चंद शब्दों में ही सही, यह जानना चाहिए कि उन्होंने विपरीत परिस्थितियों में रहकर भी किस तरह संघर्ष किया कि समाज के लिए प्रेरणास्रोत बन गई-
जहाँ मधेपुरा की बेटी सोनी राज ने एशियन सैम्बो चैंपियनशिप में भारत के लिए कांस्य पदक जीतकर तिरंगा को गौरवान्वित किया। फलस्वरूप पीएम व सीएम द्वारा वह सम्मानित हुई ही साथ ही “जो करेंगे मधेपुरा को गौरवान्वित, डॉ.मधेपुरी करेंगे उन्हें सम्मानित” कार्यक्रम के तहत भी कई बार सम्मानित हो चुकी हैं। वहीं मध्य विद्यालय सरायगढ़, सुपौल की शिक्षिका बबीता कुमारी भारत के 100 वुमन अचीवर्स होने के साथ-साथ आदर्श शिक्षक के रूप में राजकीय सम्मान से अलंकृत भी हुई हैं तथा राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा भी सम्मानित हुई है।
जहां पूर्णिया के बी कोठी प्रखंड की लैला भीता की काजल लाकड़ा महिला हॉकी की राष्ट्रीय खिलाड़ी ही नहीं है बल्कि ध्यानचंद हॉकी प्रतियोगिता में प्रथम स्थान हासिल कर चुकी है यह बेस्ट स्कोरर। वहीं कटिहार की बेटी शिल्पी सिंह दो दशक से लगभग दो हजार नाबालिगों की शादियाँ रुकवाई और लगभग ढाई सौ महिलाओं को जिस्मफरोशी से मुक्ति दिलाकर समाज में विशेष पहचान बनाई है।
जहां खगड़िया की बेटी नवनीत कौर 10 साल में पिता को खोकर भी 13 की उम्र में महिला हॉकी स्टेट टीम में सिलेक्ट हुई। अंडर-19 में दो बार बिहार का प्रतिनिधित्व भी किया। वहीं मुंगेर के तिलकरी निवासी बीणा देवी सरपंच बनकर मशरूम की खेती को ग्लोबल बनाकर प्रधानमंत्री व राष्ट्रपति द्वारा पुरस्कृत भी हुई है।
जहां जमुई की बेटी अंजनी ने जैवलिन थ्रो में 35वें नेशनल जूनियर एथलेटिक्स में स्वर्ण जीतकर 36वें नेशनल गेम्स में भाग लेने गुजरात गई है वहीं लखीसराय की विकलांग बेटी आरती कुमारी कैरम के क्षेत्र में राष्ट्रीय स्तर पर प्लेयर एवं अंपायर के रूप में पहचान बनाई है। आरती चार बार नेशनल चैंपियन भी रही है। अंत में बाराहाट की बेटी रूपा कुमारी महिला क्रिकेटर के रूप में चेन्नई में बिहार- 19 टीम का प्रतिनिधित्व कर रही है। रूपा नेशनल टीम के लिए चयनित हो चुकी है। रूपा की बहन दीपा भी महिला क्रिकेटर के रूप में अपनी पहचान बनाने लगी है।