Draupadi Murmu

रायरंगपुर से रायसीना तक पहुंची द्रोपदी मुर्मू

भारत के 15वें  राष्ट्रपति चुनाव में कुल 4809 लोग वोट करते हैं, जिनमें 776 सांसद और 4033 निर्वाचित विधायकगण शामिल होते हैं। यह भी जानिए कि राष्ट्रपति के चुनाव में मनोनीत सांसद व विधायक एवं विधान परिषद के सदस्यगण मतदान नहीं करते हैं।

आदिवासी समुदाय से आने वाली श्रीमती द्रौपदी मुर्मू देश की राष्ट्रपति बनी तो उनके ग्राम वासियों में जबरदस्त खुशी देखने को मिल रही है। सारा गांव ही नहीं, देश के कोने-कोने में नगाड़े की आवाज गूंज रही है। चारो ओर जश्न का माहौल है।

गांव में शिक्षक से करियर की शुरुआत और अब 25 जुलाई को शपथ ग्रहण करने के बाद भारत की तीनों सेना की सर्वोच्च कमांडर बनेगी श्रीमती द्रौपदी मुर्मू, जिसे विश्व कहेगा- “फर्स्ट सिटीजन ऑफ इंडिया” यानि भारत का पहला नागरिक।

महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू का जीवन दर्शन यही है- “खुद को कभी छोटा ना समझें हम खुद आगे नहीं बढ़ेंगे तो कोई दूसरा हमें आगे नहीं बढ़ा सकता।”

महामहिम गांधीयन मिसाइल मैन भारतरत्न डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम के अत्यंत करीबी रहे समाजसेवी-साहित्यकार डॉ.भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी ने श्रीमती द्रौपदी मुर्मू की जीत पर प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी एवं बिहार के मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार को शुभकामनाएं प्रेषित करते हुए यही कहा कि नवनिर्वाचित राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू भी डॉ.कलाम की तरह रायरंगपुर से रायसीना की पहाड़ी तक पहुंचने में संघर्ष को ही जीवन पथ का संबल बनाया है।

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