वेद व्यास महाविद्यालय में गुरु पूर्णिमा के दिन मनाई गई महर्षि वेदव्यास की भव्य जयंती। उद्घाटन कर्ता के रूप में मधेपुरा के विधायक व पूर्व आपदा प्रबंधन मंत्री प्रो.चंद्रशेखर ने कहा कि समय-समय पर देश को मजबूती प्रदान करने के लिए महान विभूति अवतरित होते हैं। उन्होंने विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि समाज में जातीय जटिलता तोड़ने पर ही समाजवाद सशक्त होगा।
मुख्य अतिथि मंडल विश्वविद्यालय के पूर्व प्रति कुलपति डॉ.रामदेव प्रसाद ने कहा कि वेदव्यास अपनी रचनाओं में भारतीय संस्कृति को जो अवदान दिया है वह अति विशिष्ट है। वेदव्यास कर्मवादी गुरु एवं चिंतक थे। उनकी रचना महाभारत कर्म, ज्ञान एवं उपासना का सार है। विशिष्ट अतिथि सिंहेश्वर विधायक चंद्रहास चौपाल ने कहा कि वेद और पुराण सनातन हिन्दू संस्कृति का आधार है।
इस अवसर पर समाजसेवी-साहित्यकार प्रो.(डॉ.)भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी ने विस्तार से गुरु की महत्ता एवं वेदव्यास को गुरुओं के गुरु ब्रह्मा-विष्णु-महेश का साक्षात प्रतिनिधि बताया। डॉ.मधेपुरी ने महर्षि वेदव्यास को संस्कृति पुरुष, दिव्य विश्वकोश एवं ज्ञानावतार बताते हुए कहा कि उनका अवदान समस्त मानवता की धरोहर है। उनकी रचनाएं वर्तमान साहित्य की संचित निधि है।
अध्यक्षता करते हुए जहां संस्थापक सचिव डॉ.रामचंद्र प्रसाद मंडल ने कहा कि महर्षि वेदव्यास संपूर्ण मानवता के सार तत्व हैं वहीं कॉलेज के शालीन प्रधानाचार्य डॉ.आलोक कुमार ने कहा कि भारतीय संस्कृति वेदव्यास की रचनाओं के कारण ही समृद्ध है। विशिष्ट वक्ता के रूप में रिटायर्ड एचएम दुर्गानंद विश्वास एवं जिलाध्यक्ष जयकांत यादव ने जयंती की महिमा एवं उपयोगिता को बताते हुए कहा कि वेदव्यास की विशिष्ट कृति हर काल खंडों में याद किया जाता रहेगा।
इस अवसर पर विद्वतगण डॉ.विनय कुमार चौधरी, डॉ.सीताराम शर्मा, डॉ.जगदीश नारायण प्रसाद सहित संत गंगा दास, प्रोफ़ेसर फुलेश्वर पंडित, प्रोफेसर प्रकाश मिश्रा, प्रोफेसर रंजना कुमारी, प्रोफेसर मणि भूषण वर्मा आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम में हरि साह, ध्यानी यादव, राजेश मल्लाह, बालकृष्ण यादव आदि मौजूद रहे। अंत में प्रोफेसर मणिभूषण वर्मा ने धन्यवाद ज्ञापन किया।