आपसी भाईचारे व उमंग वाले इस त्योहार में सद्भाव के साथ एक दूसरे से बांधे रखती है होली। होली की धूम शुरू हो गई है। चतुर्दिक रंग-अबीर के बीच डीजे पर गाने बज रहे हैं और लोग थिरक रहे हैं।
मौके पर समाजसेवी-साहित्यकार डॉ.भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी से होली के बाबत पूछे जाने पर उन्होंने यही कहा- “होली खेले रघुवीरा बिरज में, होली खेले रघुवीरा….. किनका हाथ कनक पिचकारी, किनका हाथ अबीरा……।” जैसे कुछ गीत हैं जिनकी बोली धीरे-धीरे खामोश होती जा रही है। अब तो इनकी जगह डीजे पर फूहड़ गीतों ने ले ली है। अपनी परंपरा को बचाए रखने के लिए साहित्यकारों को आगे आना होगा। अंत में उन्होंने कहा-
होली ईद मनाओ मिलकर, कभी रंग को भंग करो मत ।भारत की सुंदरतम छवि को, मधेपुरी बदरंग करो मत।।