Downfall of Congress Party .

कोसी में हो गया कांग्रेस का बंटाधार रसिया !

मधेपुरा; सहरसा, मधेपुरा और सुपौल जिले के इलाके को कोसी का इलाका कहा जाता है | यही वह इलाका है जहाँ आज की तारीख में विधानसभा के कुल 13 क्षेत्रों में से एक भी सीट कांग्रेस को नसीब नहीं हुई जबकि आज़ादी के बाद के वर्षों-वर्षों तक केवल और केवल कांग्रेस का ही सिक्का सम्पूर्ण कोसी में चलता रहा |

प्रखर कांग्रेसियों में आलमनगर के विद्याकर कवि, संविधानसभा के सदस्य रहे चतरा के कमलेश्वरी प्रसाद यादव, डॉ. रमेन्द्र कुमार यादव रवि, मधेपुरा के प्रथम विधि मंत्री शिवनंदन प्रसाद मंडल, बी.पी.मंडल, भोली प्रसाद मंडल, बलुआ के रेल मंत्री ललित नारायण मिश्र, डॉ.जगन्नाथ मिश्र, अमरेन्द्र मिश्र, सहरसा के लहटन चौधरी, चन्द्रकिशोर पाठक आदि-आदि को आज भी कांग्रेसी खेमे के लोग याद करते हुए नाम लेते हैं |

बहरहाल कोसी के दो संसदीय क्षेत्रों में से एक तो आज भी कांग्रेसी सांसद रंजीत रंजन के कब्जे में है | बावजूद इसके जदयू, राजद व कांग्रेस महागठबंधन के 13 सीटों में एक भी सीट कांग्रेस के खाते में नहीं ! क्या अंग्रेजों के अशुभ व अन्धविश्वासी 13 वाली संख्या अंग्रेजों के भारत छोड़ने के बाद कांग्रेसियों के ही अन्दर जगह बना ली है ? कहीं इसीलिए तो कांग्रेस के आलाकमानों को तेरह के फेर में पड़ना उचित नहीं लगा | कोसी में एक भी सीट पर कांग्रेसी प्रत्याशी होने से सम्पूर्ण कोसी क्षेत्र के सभी कांग्रेसी कार्यकर्ताओं को महागठबंधन-धर्म निभाने के साथ-साथ पार्टी-धर्म निभाने का भी एक मौका अवश्य मिलता |

अब तो स्थिति ऐसी बन गई है कि कोसी में महागठबंधन के प्रचार में लालू-नीतीश के साथ सोनिया गाँधी यहाँ जब-जब आएगी तो केवल और केवल औरों के लिए ही नाचने आएगी | यदि एक भी सीट कांग्रेस के लिए ली गई होती तो लोग यही कहते –

तोरा बियाह में हम नटुआ !
हमरा बियाह में तू नटुआ !!

बजाय इसके, अब कोसी में केवल यही पंक्तियाँ हर जुबान पर होगी –

कोसी में हो गया कांग्रेस का बंटाधार रसिया !
चाहे नाचे राहुल-सोनिया बारम्बार रसिया !!

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