टीपी कॉलेज के संस्थापक प्राचार्य रतन चंद एवं विदुषी माता गार्गी के तृतीय पुत्र सुकवि राज चंद उर्फ राजू भैया का सोमवार प्रातः 8:05 पर अपने निवास (रतन चंद द्वार के सामने) में निधन हो गया। 85 वर्षीय राजू भैया कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे। वे अपने पीछे विदुषी धर्म पत्नी 76 वर्षीय विजय देवी एवं दो पुत्र रतन स्वरूप चंद एवं ज्ञान गौरव चंद सहित मधेपुरा के सभी चाहने वालों को अलविदा कह दिए। उनके दोनों पुत्रों ने बेल्हा घाट पर मंगलवार को उन्हें मुखाग्नि दी।
आज बुधवार को कौशिकी क्षेत्र हिन्दी साहित्य संस्थान के बैनर तले पूर्व प्रति कुलपति डॉ. केके मंडल की अध्यक्षता में साहित्यकारों ने संवेदना व्यक्त की। सचिव डॉ.भूपेन्द्र नारायण मधेपुरी ने कहा कि राजू भैया कोरोना काल से पूर्व कौशिकी के साहित्यिक कार्यक्रमों में प्रायः अपनी उपस्थिति दर्ज करते रहे थे। अंत तक वे हर छोटे-बड़े एवं बुजुर्गों के भी राजू भैया बने रहे।
मौके पर मौन श्रद्धांजलि देने वाले साहित्यकारों में प्रो.सचिंद्र महतो, प्रो.श्यामल किशोर यादव, डॉ.शांति यादव, डॉ.विनय कुमार चौधरी, डॉ.अमोल राय, प्रो. मणिभूषण वर्मा, डॉ.सिद्धेश्वर कश्यप, डॉ.अरविंद श्रीवास्तव, आर्या दास, डॉ.आलोक कुमार, डॉ.विश्वनाथ विवेका, डॉ.अरुण कुमार, सियाराम यादव मयंक, संतोष कुमार सिन्हा, छात्र नेता हर्षवर्धन सिंह राठौर, रंगकर्मी विकास कुमार एवं निदेशक श्यामल कुमार सुमित्र आदि थे।
चलते-चलते यह कि राजू भैया के परिवार को इस दुख की घड़ी में सदैव साथ देने वालों में भारत भूषण (मुन्ना जी) डॉ.ललन प्रसाद अद्री, विवेकानंद, प्रसून चंद्रा, ज्ञान चंद, तरुण चंद सहित जिला परिषद सदस्य प्रकाश कुमार, प्रोफेसर गजेंद्र प्रसाद यादव, उपेन्द्र यादव दयानंद प्रसाद, संजय कुमार सहाय वर्मा आदि हैं।