आरम्भ से ही स्कूली छात्र-छात्राओं एवं युवजनों द्वारा सरस्वती की पूजा अर्चना की जाती रही है। समाज में सरस्वती को विद्या के लिए, लक्ष्मी को संपत्ति के लिए एवं दुर्गा माता को शक्ति के लिए पूजी जाती है। पूर्व में लोग इन माताओं की पूजा-अर्चना पूर्ण समर्पण एवं निष्ठा पूर्वक की जाती थी, परंतु वर्तमान में इसका सर्वथा अभाव देखा जा रहा है।
बता दें कि इस अवसर पर सरस्वती पूजा को लेकर हाट-बाजार में चारों ओर चल-पहल दिखती है। युवाओं व बच्चों में उत्साह दिखता है। पूजा को लेकर पंडाल सजधज कर तैयार होते देखा गया जबकि कोरोना के चलते सादगी के साथ ही वीणावादिनी का पूजन उत्सव मनाया गया। सुबह में पुष्पांजलि की गई। दोपहर बाद पूजा संपन्न होते ही प्रसाद वितरण का कार्यक्रम आरंभ हुआ। कहीं-कहीं शाम में सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया। परंतु खेद के साथ कहना पड़ता है कि शिक्षा का स्तर इतना गिरता जा रहा है कि ‘वीणा पाणी’ की जगह युवजन भी ‘बिना पानी’ की जय बोलने लगे हैं।