सुपौल जिले के रामदत्त पट्टी में जन्मे विजय कुमार वर्मा ने जेपी के छात्र आंदोलन से अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत मधेपुरा में की। वे राष्ट्रीय नेता शरद यादव, लालू यादव, नीतीश कुमार, डॉ.रवि के सानिध्य में रहे और दो बार एमएलसी भी बनाए गए। उसी जेपी सेनानी विजय कुमार वर्मा के पिता श्री मुक्ति प्रसाद का 94 वर्ष की उम्र में पटना के सत्यव्रत हॉस्पिटल में इलाज के क्रम में 1 दिसंबर बुधवार को संध्या 7:00 बजे के लगभग मृत्यु हो गई। कुछ समय से बीमार चल रहे थे। वे रामदत्त पट्टी गांव के सबसे अधिक वृद्ध व्यक्ति थे। उनकी धर्मपत्नी शकुंतला देवी अभी भी जीवित है।
जेपी सेनानी विजय वर्मा ने बीमारी की हालत में अपने अवकाश प्राप्त शिक्षक पिता की भरपूर सेवा की। उनके पिता संत स्वरुप जीवन जीते रहे। उनका जीवन सादगी से भरा था। अपने कपड़े भी वे स्वयं धोते रहे। कभी-कभी तो वे अपने बर्तन भी स्वयं धो लिया करते थे। वे आत्मनिर्भर जीवन जीते रहे। सब के प्रति दया भाव रखना उनका स्वभाव था। वे कर्मकांडी नहीं थे। वे चार पुत्रों- विजय कुमार वर्मा, आजाद रंजन सिंहा, सतीश एवं परमेश सहित तीन पुत्रियों एवं ढेर सारे नाती-पोते से भरे-पूरे परिवार को छोड़ दुनिया को अलविदा कह गए।
पटना के गुलबी घाट विद्युत शवदाह गृह में स्वतंत्र रूप से एक ही दिन में उनकी अंत्येष्टि क्रिया समाप्त कर ली गई। शोक जताने वालों में प्रमुख हैं- मधेपुरा के पूर्व विधायक परमेश्वरी प्रसाद निराला, बीएनएमयू के पूर्व कुलसचिव प्रो.सचिंद्र महतो, पूर्व परीक्षा नियंत्रक डॉ.भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी, जेपी सेनानी इंद्रनारायण प्रधान, सीनेटर डॉ. नरेश कुमार, पीजी जूलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ.अरुण कुमार एवं लोजद के जिला अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद यादव सहित पार्टी के वरिष्ठ नेता जय किशोर यादव, प्रसन्न कुमार, डॉ.कमल दास, जयकांत यादव, डॉ.विजेंद्र कुमार, डॉ.अमरेश कुमार, रमण कुमार सिंह, कैलाश अग्रवाल, गिरिधर चन्द, मनीष सर्राफ एवं अन्य ढेर सारे शुभचिंतकवृंद व कार्यकर्तागण।