मिसाइलमैन डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को रामेश्वरम में हुआ था। उनके पिता का नाम जैनुलाब्दीन और माता का नाम आशियम्मा है। उन्होंने रामेश्वरम से राष्ट्रपति भवन तक की यात्रा सफलतापूर्वक तय की। राष्ट्रपति बनने से पहले और बाद भी वे शिक्षक बने रहे। वे ताजिन्दगी शिक्षक ही नहीं, विद्यार्थी भी बने रहे और सदैव पढ़ते ही रहे। उन्हें पढ़ना बहुत अच्छा लगता था।
उक्त बातें उनके अत्यंत करीब रहे समाजसेवी डॉ.भूपेन्द्र मधेपुरी ने भारत-रत्न डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम की 91वीं जयंती के अवसर पर बच्चों के बीच कही। डॉ.मधेपुरी ने महामहिम डॉ.कलाम के साथ बिताए पलों एवं संस्मरणों को संदर्भित करते हुए करते हुए कहा कि बच्चों को यह कह कर प्रोत्साहित किया जाना चाहिए कि तुम्हारा जन्म जीत के लिए हुआ है। हार थोड़ी देर के लिए बाधा पहुंचाती है, परंतु वह कोई अंत नहीं है। उसी काम को फिर अलग ढंग से किया जाना चाहिए।
अंत में बच्चों के बीच मिठाइयां बांटते हुए डॉ. मधेपुरी ने कहा कि बच्चे आत्मविश्वास एवं जुनून के साथ कुछ करने का संकल्प लें। आत्मविश्वास आपके जीवन में अद्भुत चमत्कार ला सकता है जिससे आप अपने सारे सपने पूरेे कर सकते हैं।