1974 के जेपी आंदोलन के सौफीसद समर्थक रहने वाले डॉ.भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी ने 11 अक्टूबर को अपने निवास ‘वृंदावन’ में बच्चों के साथ जेपी की 120वीं जयंती मनाई। उसी जयप्रकाश नारायण के लिए राष्ट्रकवि दिनकर ने कभी कहा था-
है “जयप्रकाश” वह नाम समय की, करवट का, अंगराई का
भूचाल, बवंडर के ख्वाबों से, भरी हुई तरुणाई का…
डॉ.मधेपुरी ने बच्चों से आगे यह भी कहा कि 1975 के 5 मार्च को उन्होंने मधेपुरा के रामेश्वर बाबू, दीनबंधु बाबू, निराला बाबू, विजय वर्मा जी, प्रधान जी, उत्तम जी, जय किशोर जी, प्रसन्न जी, विजेंद्र जी आदि-आदि को साथ लेकर स्वतंत्रता सेनानी, समाजवादी चिंतक व राज्यसभा सांसद भूपेन्द्र नारायण मंडल के दिल्ली आवास तक पहुंचा दिया। 6 मार्च को जेपी के विशाल जुलूस में सबों ने हिस्सा लिया।
बकौल डॉ.मधेपुरी उन दिनों हार्ट अटैक के कारण विलिंगडन हॉस्पिटल में भर्ती समाजवादी नेता भूपेन्द्र बाबू ने उन्हें कहा था कि इतनी भीड़ तो फिर कभी दिल्ली में नहीं हो पाएगी। अतः जनपक्षीय हस्तक्षेप के आग्रही जेपी को दो घंटे के लिए भी पार्लियामेंट को घेरकर बैठ जाना चाहिए था, तब परिणाम कुछ और बेहतर होता।
अंत में डॉ.मधेपुरी ने बच्चों से यही कहा कि लोकनायक जेपी, डॉ.लोहिया और समाजवादी चिंतक भूपेन्द्र नारायण मंडल ताजिंदगी मूल्यों एवं प्रतिबद्धताओं की राजनीति से बंधे रहे। ये त्रिमूर्ति कुछ पाने के लिए नहीं बल्कि देश के नाम सर्वस्व गंवाने के लिए ही जाने जाएंगे। इनके आदर्श हमेशा पथ प्रेरक होंगे। सीएम नीतीश कुमार ने घोषणा की कि अब जेपी सेनानियों की पेंशन डेढ़ गुना बढ़ेगी।