Dr.Bhupendra Madhepuri and Nitesh Jain IAS.

यूपीएससी परीक्षा में कई असफलताओं के बाद भी नितेश ने हार नहीं मानी- डॉ.मधेपुरी

इस वर्ष की यूपीएससी परीक्षा- 2020 में मधेपुरा जिले के पुरैनी प्रखंड के नितेश कुमार जैन ने पांचवी कोशिश में 22वाँ रैंक प्राप्त कर न केवल अपने पिता श्री आनंद जैन व माताश्री सुधा जैन बल्कि जिले सहित सूबे का भी नाम रोशन किया है।

सर्वप्रथम 2015 में नितेश यूपीएससी की परीक्षा में शामिल हुए परंतु प्रारंभिक परीक्षा में ही असफल हो गए। एक वर्ष 2016 में वह इंटरव्यू तक पहुंचे तो जरूर, परंतु असफल रहे। तीसरी बार तो 2017 की परीक्षा भी वह पास नहीं कर पाए। चौथी बार नितेश  ने 2018 में कामयाबी हासिल की और  96वाँ रैंक प्राप्त कर वर्तमान में इनकम टैक्स कमिश्नर के पद पर कार्यरत हैं। बावजूद इसके नितेश पूरी लगन से आईएएस में ऊपर का रैंक पाने की तैयारी में जुटा रहा। उसी का परिणाम है कि पांचवी कोशिश में उसने 22वाँ  रैंक प्राप्त कर स्वंय पदचिन्ह बना डाला है। साथ ही यूपीएससी की तैयारी करने वालों का पथ प्रदर्शक भी बन गया है।

बता दें कि जुलाई 2019 में मधेपुरा के जीवन सदन में बिहार मारवाड़ी सम्मेलन के अध्यक्ष श्री विनोद तोदी एवं मधेपुरा के समाजसेवी-साहित्यिकार डॉ.भूपेन्द्र नारायण मधेपुरी ने मधेपुरा की बेटी खुशी प्राणसुखका को हरियाणा स्टेट सीबीएसई टॉपर होने एवं मधेपुरा का सपूत नितेश कुमार जैन के यूपीएससी- 2018 की परीक्षा में सफल होने के उपलक्ष में श्री दिनेश सर्राफ, गिरधर चांद एवं सुश्री श्वेता शारदा आदि की उपस्थिति में सम्मानित किया था। पुनः नितेश ने फिर से 2019 में भाग्य आजमाया, लेकिन 219वाँ रैंक आने पर वे जरा भी विचलित नहीं हुए।

जानिए कि नितेश की स्कूली शिक्षा स्थानीय वासुदेव उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, नया टोला में हुई जहां से 2008 में मैट्रिक पास कर कोलकाता सेेे इंटर एवं वहीं के सेंट जेवियर कॉलेज से बीकाॅम करने केेे बाद 2014 में सीए की परीक्षा पास की और फिर तब सेे यूपीएससी परीक्षा में जुट गए और पांचवी बार मेंं फतह करके ही दम लिया। नितेश का कहना हैै कि किताब का चयन ठीक ढंग से करें। उन्हें बार-बार पढ़ें। चिंतन करें। सफलता के लिए सेल्फ-स्टडी काफी मायने रखता है।

चलते-चलते यह भी कि प्रो.(डॉ.)भूपेन्द्र नारायण मधेपुरी ने प्रतियोगी परीक्षाओं खासकर यूपीएससी-बीपीएससी की तैयारी करने वालों को नितेश सरीखे एक बड़े उदाहरण को सामने लाकर यह कहना चाहते हैं कि आदमी ठान ले तो कुछ भी मुश्किल नहीं। यह भी कि कभी विचलित नहीं होते बहादुर। जब भी किसी काम को अपने हाथ में लेते तो उसे सफल करने में अपना सब कुछ झोंक देते हैं।

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