आज 28 सितंबर को भारतरत्न स्वर कोकिला लता मंगेशकर की 93वीं जन्म जयंती है। इस अवसर पर फिल्म इंडस्ट्री से लेकर भारत के विभिन्न क्षेत्रों के लोग जो लता जी से किसी न किसी रूप में उपकृत हुए हैं, वे उनके साथ किए गए काम के अनुभवों को साझा करने से बाज नहीं आते।
बता दें कि समाजसेवी-साहित्यकार डॉ.भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी ने अपने वृंदावन निवास में कुछ बच्चों को बुलाकर स्वर कोकिला भारतरत्न लता मंगेशकर द्वारा विभिन्न भाषाओं में हजारों-हजार गाने की प्रस्तुतियों पर विस्तार से चर्चा की। डॉ.मधेपुरी ने बच्चों से यह भी कहा कि लताजी अपने आप में गायकी का एक वृहत्तर स्कूल हैं। उनकी गायकी मील का पत्थर है। तभी तो आज भी लोग किसी की सुरीली आवाज को सुनकर यही कह उठता है कि यह तो लता मंगेशकर जैसी आवाज है। जिन्हें लता जी के साथ कभी गाने का मौका मिल गया वह गायक अपना सौभाग्य मानता है। जैसे लोगों की नजर में क्रिकेट का भगवान सचिन तेंदुलकर है, वैसे ही गायकी का भगवान है लता मंगेशकर।
अंत में डॉ.मधेपुरी ने बच्चों से कहा कि जब क्रिकेट के कप्तान कपिल देव ने विश्व कप जीता था तो बीसीसीआई के पास इतना पैसा नहीं था कि वह खिलाड़ियों को डिनर पर बुलाता, इनाम तो बहुत दूर की बात थी। वैसी विकट परिस्थिति में लता जी ने क्रिकेट प्रेमियों के अनुरोध पर दिल्ली के इंद्रप्रस्थ स्टेडियम में एक चैरिटीशो का आयोजन किया था। उन्हें सुनने के लिए इतने टिकट बिके कि बीसीसीआई निहाल हो गया। यह बात है अगस्त 1983 की।
जानिए कि तब से ही भारत में कहीं भी इंटरनेशनल क्रिकेट मैच होता है तो बीसीसीआई लता जी के लिए एक सीट हमेशा खाली (रिजर्व) रखता है, चाहे वह स्वर कोकिला भारतरत्न लता मंगेशकर मैच देखने जाएं या अंत तक नहीं आएं। लता जी के उस महादान के लिए बीसीसीआई 1983 से आज तक उन्हें यह महासम्मान देता चला आ रहा है।