मधेपुरा; आखिर एन.डी.ए. की सीटों का बँटवारा कुछ इस तरह निबट गया या कहिये कि कुछ इस प्रकार मैनेज हो गया कि न तो लोजपा सुप्रीमो रामविलास, न रालोसपा प्रधान उपेन्द्र कुशवाहा या न तो हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) के हमदम जीतन राम मांझी खुद को हारा महसूस कर रहे हैं और न ही राजनीति के ऐसे खेल के माहिर खिलाड़ी भाजपा के राष्ट्रीय अद्यक्ष अमित शाह खुद को जीता हुआ महसूस कर रहे हैं |
बीते सप्ताह के हलचल भरे गतिरोध, उठा-पटक और मान-मनौव्वल के पटाक्षेप होते ही भाजपाई राजनीति के बादशाह अमित शाह द्वारा नई दिल्ली के भाजपा मुख्यालय में एनडीए के बीच सीटों के बंटवारे की घोषणा त्रिमूर्ति रामविलास, उपेन्द्र कुशवाहा और जीतनराम मांझी की उपस्थिति में यूँ कर दी गई :- भाजपा- 160, लोजपा- 40, रालोसपा- 23 और हम 20 सीटों पर अपने-अपने प्रत्याशियों को खड़ा करेगा | हम के कुछ प्रत्याशी यानी दो-तीन ही सही वे भाजपा के चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ेंगे | यह भी कयास लगाया जा रहा है कि मांझी के 25 सीटों को पूरा करने के लिए ही ऐसी अदभुत व्यवस्था राजनीति के शहंशाह अमित शाह द्वारा दी गई जिस पर हम की नैया के खेबनहार मांझी द्वारा सहमति में सिर हिला दिया गया है | फिर भी हम के एक वरिष्ठ नेता देवेन्द्र प्रसाद यादव, जो केन्द्रीय मंत्री भी रहे हैं, नाराज हो रहे दिखने लगे हैं | यूँ राजनीति में हर क्षण असंतोष की गुडगुडी उठती और फूटती ही रहती है |
एनडीए ने यह भी तय कर लिया कि चुनावी मुद्दा विकास होगा | स्टार-प्रचारक नरेन्द्र मोदी होंगे जो भाजपा सहित सभी सहयोगी दलों के बीच प्रचार करेंगे तथा जितनी सभाएं आयोजित की जायेंगी सभी में नरेन्द्र मोदी आते रहेंगे |

जबकि विरोध में ताल ठोकने वाली पार्टियों – जदयू, राजद एवं कांग्रेस के महागठबंधन के बीच सीटों को लेकर अभी भी उठा-पटक जारी है | मान-मनौव्वल का दौर चालू है | डाक्टरी दवा की तरह सुबह-दोपहर-शाम बैठकें बुलाई जा रही हैं | ऐसा लगता है कि फिलहाल ये सिलसिला चलता ही रहेगा | भला क्यों नहीं, लालू जहाँ लोकसभा चुनाव में मिले सीटों का हवाला दे रहे हैं वहीँ शरद-नीतीश जदयू के सीटिंग सीटों को छोड़ने को तैयार नहीं | वहीँ गुरु वशिष्ठ की डुगडुगी से आवाज आती है कि जदयू और राजद दोनों सेक्रिफाइस करने को तैयार रहें |
परन्तु इन दोनों का हाल फिलहाल बेहाल है | जदयू 118 सीटिंग सीटों में से 100 पर अपना उम्मीदवार उतरना चाह रही है जबकि उसके पास भरोसे के 96 विधायक ही बचे हैं, शेष तो बागी हो चुके हैं | तुर्रा तो यह है कि इस 96 में से 18 सीटों पर लालू अपना दावा ठोंक रहे हैं | यदि उठा-पटक में ऐसा कुछ हुआ तो जदयू के उन समर्पित विधायकों को बेवजह राम की तरह वनवासी बनना पड़ेगा | क्या समर्पित होकर पार्टी एवं जनता की सेवा करने की यही सजा उन्हें दी जायेगी और सचेतन मतदातागण समर्पण की सजा पर मौन धारण कर कब तक बैठे रहेंगे . . . ?
मधेपुरा अबतक के लिए डॉ.पूजा अनुपम