Upendra Maharathi Shilp kala

राज्य के 40 सर्वश्रेष्ठ शिल्पियों को सम्मानित किया उद्योग मंत्री सैयद शाहनवाज हुसैन ने

कोरोना काल में बिहार म्यूजियम में अवस्थित उपेंद्र महारथी शिल्प अनुसंधान की ओर से राज्य के शिल्पकारों व कलाकारों के हौसले को कायम रखने के लिए 1 करोड़ 29 लाख रुपए दिए गए। इसकी सराहना करते हुए सूबे के उद्योग मंत्री शाहनवाज हुसैन ने कहा कि यह दुनिया का पहला ऐसा संस्थान है जो कलाकारों को इतना सम्मान देता रहा है। ये बातें संस्थान की ओर से राज्य पुरस्कार वितरण समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में मंत्री शाहनवाज हुसैन ने कही।

मौके पर संस्थान के निदेशक अशोक सिन्हा, उद्योग विभाग के विशेष सचिव दिलीप कुमार, पद्मश्री बउवा देवी के साथ अन्य गणमान्य उपस्थित थे जिन्होंने कलाकारों के हौसले को बढ़ाया और कहा कि उद्यमिता व निर्माण के प्रतीक हैं भगवान विश्वकर्मा।

समारोह को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि मंत्री शाहनवाज हुसैन ने कहा कि जहां अब तक विजेताओं को राज्य पुरस्कार ₹22 हजार एवं राज्य मेधा पुरस्कार ₹11 हजार दी जाती थी वहीं अब क्रमशः 50 हजार एवं ₹25 हजार की राशि दी जा रही है।

यह भी बता दें कि राज्य के 40 सर्वश्रेष्ठ शिल्पियों एवं कलाकारों को उत्कृष्ट कलाकृतियों के लिए 20 को 50-50 हजार रुपए का राज्य पुरस्कार तथा 20 को 25-25 की राशि राज्य मेघा पुरस्कार के रूप में प्रदान की गई। कलाकारों को उनकी लगन और मेहनत से ही सम्मान मिलता है।

राज्य मेधा पुरस्कार जिन्हें मिला है वे हैं- मधुबनी पेंटिंग में संजीव कुमार झा, पूजा कुमारी, रजनी कुमारी, स्नेहा दास, रंजू देवी और परीक्षण पासवान। कशीदाकारी में मीना देवी एवं नीलम भारती। सुजनी कला में रिंकू देवी, सोनी कुमारी। टेराकोटा शिल्प में दिनेश पंडित एवं शिव शंकर पंडित। इसके अलावा कुमारी किरण (वेणु शिल्प),  जितेंद्र राय (सिक्की कला), सोनी कुमारी (टिकुली कला), उमेश ठाकुर (काष्ठ कला), रूपा कुमारी (जूट शिल्प), विभा श्रीवास्तव (क्रोशिया शिल्प), सुशील विश्वकर्मा (बुनाई शिल्प) और अनीता पांडे (भोजपुरी पेंटिंग)।

राज्य पुरस्कार जिन्हें मिला है वे हैं- मधुबनी पेंटिंग में नूतन बाला, नलिनी शाह, दिनेश पासवान, सुरेंद्र पासवान, अंजू देवी मिश्र, इंद्रकांत झा, रानी झा, ममता देवी, अमित कुमार झा, प्रियांशु कुमार एवं रोशन कुमार। इसके अलावे हेमा देवी (पेपरमेसी कला), पवन कुमार सागर (मंजूषा कला), सांत्वना सिंह (मेटल क्राफ्ट), राजेंद्र साह (लाह शिल्प), पप्पू कुमार (सिक्की कला), रूपेश कुमार (टेराकोटा शिल्प), खुशबू कुमारी (टिकुली कला) एवं गणेश प्रसाद (पाषण शिल्प)।

मौके पर कलाप्रेमी-समाजसेवी डॉ.भूपेन्द्र मधेपुरी ने कहा कि जिस तरह भारतीय शिल्पकारों एवं कलाकारों की कला की विदेशों में मांग बढ़ने लगी है कि अब इन कलाओं में युवा पीढ़ी को आगे बढ़कर भारत को गौरवान्वित करना चाहिए।

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