Vishwakarma Pooja

मधेपुरा में विश्वकर्मा पूजा के दिन औजारों मशीनों आदि की पूजा करने का है विधान

विश्वकर्मा पूजा प्रत्येक वर्ष 17 सितंबर को मनाया जाता है। मान्यता है कि इसी दिन निर्माण के देवता विश्वकर्मा का जन्म हुआ था। वे देवताओं के लिए महलों एवं हथियारों का निर्माण किया करते थे। भगवान विश्वकर्मा के जन्मदिन को विश्वकर्मा पूजा, विश्वकर्मा दिवस या विश्वकर्मा जयंती के नाम से भी जाना जाता है।

जानिए कि विश्वकर्मा ने सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा जी के सातवें  धर्मपुत्र के रूप में जन्म लिया था, जिन्हें देवताओं का इंजीनियर और मशीनों का देवता भी कहा जाता है। विष्णु पुराण में विश्वकर्मा को देव बढ़ई कहा गया है।

मौके पर समाजसेवी डॉ.भूपेन्द्र मधेपुरी ने कहा कि सामाजिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक विकास के लिए शिल्प ज्ञान जितना जरूरी है उतना ही जरूरी है मानव सभ्यता के विकास के लिए मशीन और औजार।

लोग बोलते हैं कि इसी मधेपुरा में कभी मैकेनिक जागेश्वर सिंह एवं उनके सभी पुत्रों गणेश, उमेश, महेश, सुरेश, दिनेश, नरेश मिलकर जमीन पर बिखरे हवाई जहाज को जोड़कर हवा में उड़ाने की क्षमता रखते थे। अब मुन्नी बाबू विश्वकर्मा की पूजा बर्षों से करते आ रहे हैं।

यह भी बता दें कि वर्तमान में कोसी के सर्वश्रेष्ठ टेंट हाउस संचालक राम प्रताप साह हलवाई का पौत्र उत्तम कुमार भी उधमिता व निर्माण के प्रतीक भगवान विश्वकर्मा की पूजा के विशेष अवसर पर शहर के गणमान्यों को आमंत्रित किया था। जिसमें शहर के शिक्षाविद डॉ.भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी, पीजी जंतु विज्ञान के विभागाध्यक्ष प्रो.(डॉ.)अरुण कुमार एवं मधेपुरा लायंस क्लब व व्यापार मंडल की रीढ़ माने जाने वाले सीए मनीष सर्राफ आदि को देखा गया। डाॅ. मधेपुरी ने रामप्रताप साह के कई संस्मरणों को संदर्भित करते हुए कहा कि मधेपुरा को गौरवान्वित करते रहे हैं रामप्रताप साह हलवाई। जिन्होंने राजगीर में बहुत बड़ा धर्मशाला निर्माण कराकर मधेपुरा को गौरवान्वित किया है। और मधेपुरा में भले ही कीमत लेकर ही सही अपनी जमीन पर दो माननीय सांसदों शरद यादव एवं पप्पू यादव को घर बसाने का अवसर तो दिया ही है। उन्होंने कहा कि रामप्रताप बाबू सही मायने में विश्वकर्मा के पुजारी रहे हैं और उन्हीं के पुण्य प्रताप से उनकी पौत्री रियांशी टेबल टेनिस में प्रसिद्धि प्राप्त कर रही है और मधेपुरा को गौरवान्वित कर रही है।

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