एक सकारात्मक सोच वाली अच्छी और हृदय को छूने वाली सच्ची बातें। ओलंपिक और पैरालंपिक में कोई अंतर नहीं फिर भी सम्मान में क्यों अंतर हो जाता है ! ओलंपिक खिलाड़ियों के साथ संपूर्ण देश खड़ा रहता है, लेकिन पैरालंपिक खिलाड़ियों को उनके घर वाले हवाई अड्डे पर रिसीव करने जाते हैं। जबकि दोनों के द्वारा गोल्ड जीतने पर पोडियम में भारत का राष्ट्रगान समान रूप से शान के साथ बजता है और तिरंगा भी सबसे ऊपर होता हुआ आकाश को चूमता है। ये क्रियाएं समान रूप से समस्त भारतवासियों को गौरवान्वित भी करता है।
समाजसेवी-शिक्षाविद् प्रो.(डॉ.)भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी की सोच है- ओलंपिक के खिलाड़ी हों या पैरालंपिक के, दोनों अपना सब कुछ न्योछावर कर देश को विश्व के खेल मंच पर ऊंचाई प्रदान करता है। किसी-किसी को तो 50 किलोमीटर की दूरी तय कर प्रतिदिन ट्रेनिंग सेंटर तक जाना पड़ता है। यदि अंक देने की बात हो तो अधिक अंक पैरालंपिक खिलाड़ियों को ही दिया जाना उचित होगा। ऐसा इसलिए कि पैरालंपिक वाले कोई खिलाड़ी बिना पैर के तो कोई बिना हाथ के ही वो कमाल कर दिखाते हैं जो दो-दो हाथ-पैर वाले भारतीय ओलंपिक खिलाड़ी नहीं कर पाते हैं।
खेलों के इस महाकुंभ में चुनौतियां चेहरा नहीं देखती वो देखती है केवल जोश, जज्बा और जुनून। जब किसी ओलंपिक खिलाड़ी की तपस्या हद को पार कर जाती है तब उसे ओलंपिक पदक जैसी अमूल्य चीज मिल जाती है जो संपूर्ण देश के चेहरे पर मुस्कान ला देती है।
भारतीय ब्रांड्स को चाहिए कि एक बार में दो मेडल (एक स्वर्ण और एक कांस्य) जीतने वाली अवनी लेखरा जैसे पैरालंपिक खिलाड़ियों को भी अप्रोच करें और अवसर देकर उनका मनोबल बढ़ाएं।
जानिए कि टोक्यो- 2020 ओलंपिक में जहां एक बार जन-गण-मन…. बजा वहीं टोक्यो पैरालंपिक में पांच बार और तिरंगा तो 19 बार आकाश में लहराया। कल होकर वही खिलाड़ी जब खेल से रिटायर हो जाता है तो कुछ की आर्थिक स्थिति ऐसी हो जाती है कि वे अपने घर के बच्चों की परवरिश के लिए उसी मेडल को अपनी पहचान छुपा कर बेचने को मजबूर हो जाते हैं।
डॉ.भूपेन्द्र मधेपुरी जैसे संवेदनशील-समाजसेवी ने भारतीय खिलाड़ियों द्वारा खेल के प्रति अकंप्य एकाग्रता बनाए रखने के लिए देश के प्रधानमंत्री, राज्य के मुख्यमंत्री एवं खेल व युवा मामले के मंत्रीगण से उन खिलाड़ियों के खेल से रिटायर होने पर उन्हें पेंशन एवं मेडिकल सुविधाएं देने की मांग की है। उन्होंने देश को गौरवान्वित करने वाले उन पदक वीरों को विधायकों एवं सांसदों की तरह ही पेंशन, मेडिकल व अन्य सुविधाएं देने हेतु विनम्र अनुरोध भी किया है।
अंत में यह भी जानिए कि डॉ.मधेपुरी ने पीएम नरेंद्र मोदी, सीएम नीतीश कुमार और खेल व युवा मामले के केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर एवं सूबे बिहार के खेल मंत्री डॉ.आलोक रंजन को भी इस आशय का पत्र प्रेषित किया है।