Photo Journalist Danish Siddihique

अफगानिस्तान में शहीद हुए भारतीय फोटो पत्रकार दानिश सिद्दीकी को श्रद्धांजलि

दो देशों के बीच गोलीबारी या मुठभेड़ की स्थिति में आमतौर पर किसी भी पत्रकार को निशाना नहीं बनाया जाता है, परंतु अफगानिस्तान में तालिबान ने जो दुस्साहस किया है दरअसल वह प्रेस या मीडिया पर निर्मम हमला है।

बता दें कि कंधार में तालिबान ने भारतीय फोटो पत्रकार दानिश सिद्दीकी को उस वक्त निशाना बनाया था जब वह अफगान सुरक्षा बलों के साथ वहां के हालात की निष्पक्ष रिपोर्टिंग कर रहे थे। समाचार एजेंसी रायटर से जुड़े शहीद दानिश पुलित्जर पुरस्कार विजेता थे।

यह भी जानिए कि इस वर्ष अभी तक अफगानिस्तान में 6 पत्रकारों की हत्या हो चुकी है, जिनमें 4 महिला पत्रकार हैं, जबकि पिछले पूरे साल में 6 पत्रकार रिपोर्टिंग करते हुए वहां शहीद हुए थे। वर्ष 2018 में वहां 16 पत्रकारों को जान गंवानी पड़ी थी। कोई संगठन पत्रकारों को इस कदर नापसंद क्यों करते हैं जबकि वह समाज को बेहतर और पारदर्शी बनाने में अपनी भूमिका निभाते हैं। शहीद दानिश सिद्दीकी सहित अफगानिस्तान में हुए सभी शहीद पत्रकारों के प्रति शोक जताते हुए भारत के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, रक्षा मंत्री, सूचना प्रसारण मंत्री सहित भारत के सभी संवेदनशील सुदी जनों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी है।

चलते-चलते यह भी बता दें कि भारत ने 10 जुलाई को कंधार में वाणिज्य दूतावास से लगभग 50 राजनयिकों, सहायक कर्मचारियों और सुरक्षाकर्मियों को भारतीय वायुसेना की मदद से वापस बुला लिया है। परंतु, समाजसेवी-साहित्यकार डॉ.भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी ने कहा कि वहां पर तालिबान जो कुछ कर रहा है उस पर पूरे विश्व को ज्यादे कड़ाई से संज्ञान लेना चाहिए। साथ ही डॉ.मधेपुरी ने यह भी कहा कि जो देश तालिबान के पीछे प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से खड़े हैं, उन्हें मानवीयता के आईने में अपनी छवि को बार-बार देखनी भी चाहिए।

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