दुनिया के सर्वाधिक देशों में ऑनलाइन एजुकेशन का अनुभव खराब व अत्यंत निराशाजनक रहा है। दुनिया के जापान, फ्रांस और ब्रिटेन जैसे देशों में सौ के स्केल पर रिमोट लर्निंग के प्रभावी होने के अंक 33%, 46% और 49 % हैं तो भारत कहाँ होगा जहाँ शिक्षा पर रोज-रोज नये प्रयोग होते रहे हैं। जहां बच्चों को स्कूली शिक्षा की ओर आकर्षित करने के लिए मिडडे मील (मध्याह्न भोजन) योजना लागू की जाती है।
बता दें कि मैसाचुसेट्स टेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट की टीचिंग सिस्टम्स लैब के जस्टिन रिच यही बताते हैं कि कोरोना के कारण अमेरिका के अधिकतर परिवारों के लिए ऑनलाइन पढ़ाई निराशाजनक रही।
यह भी जानिए कि कोरोना काल मे मार्च 2021 तक इंग्लैंड में प्राइमरी स्कूलों के छात्रों की पढ़ाई आॅनलाइन के चलते कई महीने पिछड़ गए । नीदरलैंड से यही जानकारी दी गई कि कोरोना काल के पहले छह महीनों में रिमोट लर्निंग के आठ सप्ताहों में बच्चों ने कुछ भी नया नहीं सीखा है। कम पढ़े-लिखे माता-पिता ने बच्चों की सीखने की क्षमता 50% तक ही रही । कुछ लोग मानते हैं कि ऑनलाइन लर्निंग से कुछ होशियार छात्रों को फायदा हुआ है।
चलते-चलते यह जानिए कि समाजसेवी-शिक्षाविद डॉ.भूपेन्द्र मधेपुरी ने कहा कि जहाँ उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्रों के लिए ऑनलाइन लर्निंग बेहतर साबित होगा, वहीं बच्चों को गुरु के साथ रहने पर ही बेहतर शिक्षा मिलेगी।