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मानव मस्तिष्क में प्रतिदिन 50 हजार से अधिक विचार आते हैं– डाॅ.मधेपुरी

मानव मस्तिष्क सर्वाधिक ऊर्जा का उपयोग करता है। मस्तिष्क ऊर्जा को विचारों मे बदलता है। यही कारण है कि विचारों में हमारी बहुत सारी ऊर्जा खर्च होती है।

बता दें कि विचार सकारात्मक होंगे तो ऊर्जा सकारात्मक रूप धारण कर लेती है अन्यथा नकारात्मक हो जाती है। नकारात्मक सोच के लिए मेहनत नहीं करनी पड़ती जबकि सकारात्मकता के लिए हर दिन कोशिश करनी पड़ती है।

जानिए कि भौतिक शास्त्री डाॅ. भूपेंद्र  नारायण यादव मधेपुरी ने बच्चों से यही कहा कि भौतिक विज्ञान के अनुसार संसार में केवल दो ही तत्व हैं – एक है ऊर्जा दूसरा है पदार्थ । इन्हीं की अन्तः किया से  यह संसार बना है । नेपोलियन ने भी कहा था विचार वस्तु बन जाता है। आइन्सटीन ने तो सिद्धान्त ही दे दिया है।

चलते-चलते यह भी कि ऊर्जा समस्त प्राणियों में विद्यमान है जो सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रकार की होती है। ये परस्पर दो विरोधी शक्तियां हैं। ब्रह्माण्ड इन दोनों के मिश्रण से बना है जिसका संतुलन बनाए रखना अति आवश्यक है। असंतुलन से ही शरीर मे रोग उत्पन्न हो जाता है। पॉजिटिव एनर्जी ज्यादा होने से शरीर में लाभदायक रसायनों का स्राव ज्यादा होने लगता है जिससे शरीर की इम्युनिटी बढ़ने लगती है । और तभी हम किटाणुओं एवं वायरसों से लड़कर उन्हें परास्त कर देते हैं।

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