फादर्स डे यानी पितृ दिवस प्रति वर्ष जून महीने के तीसरे रविवार को 1910 ई. से ही मनाया जाता रहा है। यह दिन पिता के प्यार और त्याग के प्रति सम्मान प्रकट करने का दिन होता है। सर्व प्रथम वाशिंगटन में सोनारो स्मार्ट द्वारा पहला फादर्स डे समारोह मनाया गया था । राष्ट्रपति निक्सन द्वारा इसे 1972 में ही राष्ट्रीय अवकाश घोषित कर दिया गया।
तब से दुनिया भर के लोग इस दिन को अपने पिता को धन्यवाद देने, सम्मान देने तथा दिवंगत पिता को श्रद्धा जंलि देने के अवसर के रूप में मनाते आ रहे हैं। इस दिन भारतीय बच्चे भी अपने पिता को उनका लोकप्रिय तोहफा देते हैं तथा परिवार में उन्हें खास महसूस कराने की कोशिश करते हैं ।
आज समाजसेवी-साहित्यकार डॉ. भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी ने अपने दिवंगत पिता की स्मृति में पौधरोपण करने के बाद यही कहा कि गरीब पिता भी बच्चों के लिए सर्वाधिक अमीर होते हैं । उन्होंन कहा कि वे बच्चे नसीब वाले हैं जिनके सर पर पिता का हाथ है। माँ तो बच्चे को जन्म देती है और पालन-पोषण करती है, परन्तु पिता उन्हें चलना सिखाता है, संघर्षशील बनाता है और धूप-शीत से बचाता भी है। समस्याओं का समाधान करने में जो सबसे करीब होता है वही पिता होता है। बच्चों के लिए वही जमीन और वही आसमान होता है। पिता वही होता है जो अपने बच्चों की जिन्दगी सुधारने एवं सुखमय बनाने के लिए अपनी पूरी जिन्दगी खर्च कर देता है। तभी तो कोई जानदार बेटा यहाँ तक कह डाला है —
कयामत मेरा क्या बिगाड़ लेगा,
मेरा बाप जो मेरे साथ है।