Dr.Meera and Dr.Ravi

सरस्वती के वरद् पुत्र डॉ.रवि के साथ उनकी धर्मपत्नी विदुषी डॉ.मीरा भी चल बसी

14 मई को ईद के दिन सरस्वती के वरद् पुत्र डॉ.रवि ने पटना के पालिका हॉस्पिटल में अंतिम सांस ली और आज 25 मई मंगलवार को हनुमान के दिन पटना के पारस में उनकी धर्मपत्नी विदुषी डॉ.मीरा ने दिन के 9:10 बजे अंतिम सांस ली। उस समय उनके दो पुत्र डॉ.चंद्रदीप और डॉ.अमरदीप वहां मौजूद थे। डॉ.रवि हिन्दी के और डॉ.मीरा मैथिली के प्रोसेसर थे। संयोग देखिए, डॉ.रवि ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय में और डॉ.मीरा पार्वती विज्ञान महाविद्यालय में कार्यरत थे। आजकल के बहुत कम ही लोग जानते होंगे कि ठाकुर प्रसाद की धर्मपत्नी है पार्वती देवी।

होनी को तो कोई टाल नहीं सकता। मजदूर दिवस (1 मई) के दिन इन दोनों के समधी डॉ.भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी से हो रही बातचीत के दरमियान डॉ.रवि एवं डॉ.मीरा द्वारा यही कहा गया कि हम दोनों तो घर से निकलते ही नहीं तो कोरोना क्या बिगाड़ लेगा ?

हाँ, ये सच है कि वे स्थानीय चतरा कोठी से नहीं निकलते थे, परंतु राजनेता, प्राचार्य व कुलपति रहने के कारण उपकृत हुए लोगों का आना-जाना तो लगा ही रहता था। पता नहीं कब, कैसे और किसके साथ कोरोना ने उन्हें चुपके-चुपके अपनी गिरफ्त में ले लिया और आहिस्ता-आहिस्ता उनकी धर्मपत्नी डॉ.मीरा भी कोरोना संक्रमित हो गई। सर्दी-खांसी-बुखार तक तो खुद डॉक्टर बने रहे, जब सांस लेने में कठिनाई हुई तब फोन से जानकारी मिलते ही पटना में रह रहे कनिष्ठ पुत्र प्रदेश मीडिया सेल के अध्यक्ष डॉ.अमरदीप अपने चिकित्सक साढुभाई डॉ.बरूण कुमार के साथ डीएम श्याम बिहारी मीणा से सहयोग प्राप्त कर ऑक्सीजन प्राप्त किया और इलाज आरंभ हुआ।

सीएम हाउस से भी डीएम के माध्यम से डॉ.रवि सहित डॉ.मीरा की स्थिति का जायजा बराबर लिया जाता रहा। बाद में जेएनकेटी मेडिकल कॉलेज में भर्ती, फिर स्थिति बिगड़ते देख डीएम मीणा ने बेहतर इलाज हेतु अलग-अलग एंबुलेंस में विशेषज्ञों के साथ 13 मई को पटना रवाना कर दिया। मई 14 को दिन के 1:30 बजे डॉ.रवि ने पालिका में और डॉ.मीरा ने 25 मई को सवेरे 9:10 बजे पारस में अंतिम सांस ली।

इधर डॉ.रवि के पुत्र द्वय डॉ.चंद्रदीप व डॉ.अमरदीप ने वैदिक रीति से अपने पिताश्री डॉ.रवि का श्राद्ध कर्म 25 मई को सबेरे समाप्त किया कि ताजिंदगी पति के कार्यों में सहयोग करने वाली धर्मपरायण पत्नी डॉ.मीरा ने 15 मई से ही आंखें बंद कर पति के कार्यों में निरंतर सहयोग करते हुए 25 मई को अंतिम सांस ली। इन घटनाओं को सुन साहित्यकार समधी डॉ.मधेपुरी ने अवरुद्ध कंठ से अपनी चार पंक्तियां श्रद्धांजलि स्वरुप दोहराते हुए कहा-  दुनिया रंगमंच है अपनी / सभी भूमिका निभा रहे हैं / कोई आकर हंसा गए जी / कोई जाकर रुला रहे हैं।

डॉ.रवि ने जनहित में ताजिंदगी ऐसी भूमिका निभाई थी कि जाने के बाद एक सप्ताह तक अखबारों एवं सोशल मीडिया पर छाए रहे। लोग उनके किए गए कर्मों को याद करते रहे तथा नम आंखों से श्रद्धांजलि देते रहे। आज परम विदुषी एवं धर्म परायण अर्धांगिनी डॉ.मीरा भी चली गई। जिनने आते-जाते डॉ.मीरा से सम्मान एवं वात्सल्य प्यार पाया था, वे सभी आज उदास हैं, शोकाकुल हैं। जो पल-पल उनके स्वास्थ्य सुधार की जानकारी पाने को व्याकुल रहते थे और उनके समधीश्री डॉ.मधेपुरी से जानकारी मांगते रहते थे, वे हैं-

पूर्व विधान पार्षद विजय कुमार वर्मा, पूर्व विधायक परमेश्वरी प्रसाद निराला, एमएलसी डॉ.संजीव कुमार सिंह, रमण कुमार सिंह समाजसेवी, प्रो.(डॉ.)अरुण कुमार,  प्राचार्य डॉ.शिव नारायण यादव, प्राचार्य डॉ सुरेश प्रसाद यादव, डॉ.शांति यादव, डॉ.अरविंद श्रीवास्तव, जदयू जिला अध्यक्ष गुड्डी देवी, सहरसा आरएम कॉलेज के पूर्व प्राचार्य डॉ.विनय कुमार चौधरी, प्रो.मणिभूषण वर्मा, साहित्यकार डॉ.विनय कुमार बेसुध सहित कुलपति के निजी सचिव शंभू नारायण यादव व प्रो.मनोज भटनागर आदि ढेर सारे लोग। सभी शोकाकुल हैं। इस आदर्श दंपत्ति के अचानक चले जाने से आम लोगों के साथ-साथ बिहार का जदयू परिवार भी मर्माहत है।

डॉ.मीरा लगभग 10 वर्ष पूर्व सेवानिवृत्त हुई थी और तब से पारिवारिक जीवन जी रही थी। वह एक धर्मपरायण महिला के रूप में दिनभर पूजा-पाठ में लगी रहती। 74 वर्षीय डॉ.मीरा अपने पीछे तीन पुत्रों डॉ.रतनदीप, डॉ.चंद्रदीप, डाॅ.अमरदीप एवं एक पुत्री मधुनंदा सहित ढेर सारे नाती-पोते से भरा पूरा परिवार छोड़ कर गई हैं। उनका अंतिम संस्कार पटना के उसी गुलबी घाट पर हुआ जहां उनके पति डॉ.रवि को उनके पुत्र डॉ.चंद्रदीप ने मुखाग्नि दी थी और आज वहीं पर 25 मई को दिन के 3:00 बजे उनके कनिष्ठ पुत्र डॉ.अमरदीप ने मां डॉ.मीरा को मुखाग्नि दी। उनकी अंत्येष्टि में एचआईजी बहादुरपुर एवं प्रदेश मीडिया सेल के चाहने वाले अच्छे-खासे लोग मौजूद दिखे।

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