कोरोना की दूसरी लहर में संक्रमितों की हर रोज हो रही कोरोना से मौत में वृद्धि के कारणों में ऑक्सीजन की किल्लत और अनिवार्य व आवश्यक दवाइयों की कालाबाजारी ने संक्रमितों की टेंशन बढ़ा दी है। मानसिक तनाव की वजह से कोरोना संक्रमितों का बीपी ब्लड प्रेशर भी बढ़ता जा रहा है जिस कारण कोरोना मरीज नई-नई बीमारियों की भी चपेट में आने लगे हैं।
बता दें कोरोना के इलाज करने वाले विशेषज्ञों के अनुसार कोविड के एक तिहाई मरीजों में ब्लड प्रेशर की समस्या देखी जा रही है। कोरोना संक्रमित मरीजों में बहुत ऐसे हैं जिन्हें संक्रमित होने से पहले ब्लड प्रेशर (बीपी) की समस्या नहीं थी। इनमें बीपी बढ़ने का कारण अनियंत्रित शुगर और दवाओं के प्रयोग से अधिक कोरोना होने का तनाव माना जा रहा है।
करोना संक्रमित होते ही लोग होम आइसोलेशन में रहते हुए डिप्रेशन में जाने लगते हैं। लोगों में नौकरी जाने की, आमदनी घटने की और रोजगार चौपट होने जैसी विभिन्न आर्थिक समस्याओं के चिंता-फिकर के कारण ब्लड प्रेशर बढ़ने लगता है। यही कारण है कि अब चिकित्सकों को हर चौथा मरीज हाइपरटेंशन का शिकार मिल रहा है।
एक सर्वे रिपोर्ट के अनुसार करीब 35% लोग हाई ब्लड प्रेशर में प्रति पीड़ित हैं। जिसमें 25% शहरी क्षेत्र के तो 10% ग्रामीण क्षेत्र के निवासी हैं। तनावपूर्ण जीवनशैली हाइपरटेंशन का प्रमुख कारण है। इसके अलावा शराब व धूम्रपान का सेवन, चिंता-अवसाद, अनिद्रा आदि भी ब्लड प्रेशर बढ़ाने में मदद करता है।