Dr.R.K.Yadav Ravi with Samdhi Dr.B.N.Yadav Madhepuri

डॉ.रवि के साहित्यिक एवं राजनीतिक अवदानों का मूल्यांकन आने वाला समय करेगा- डॉ.मधेपुरी

डॉ.रवि ने पाक रमजान महीने के ईद के दिन 14 मई को पटना में अंतिम सांस ली। डॉ.रवि के द्वितीय पुत्र डॉ.कुमार चंद्रदीप ने मुखाग्नि दी। वे साहित्य और राजनीति दोनों क्षेत्रों में अपनी पकड़ बनाए रहे।

कौशिकी क्षेत्र हिन्दी साहित्य सम्मेलन के संरक्षक डॉ.रवि द्वारा रचित ओज की अद्भुत कृति “जब सब कुछ नंगा हो रहा हो” को संदर्भित करते हुए कौशिकी के सचिव एवं डॉ.रवि के समधी डॉ.भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी ने अवरुद्ध कंठ से कहा कि कोसी अंचल का एक सशक्त राजनेता व साहित्य का रवि सदा के लिए अस्ताचलगामी हो गया। कोसी अंचल ने एक बेशकीमती साहित्यिक वक्ता खो दिया। उनका साहित्यिक एवं राजनीतिक अवदान कितना बड़ा रहा है इसका मूल्यांकन आने वाला समय करेगा।

डॉ.मधेपुरी ने कहा कि व्यक्तिगत जीवन में उनके जैसा आला दर्जे का इंसान मैंने खुद के जीवन में गिने-चुने ही देखा है, जिन्होंने अपने गरीब रिश्तेदारों को भी सार्वजनिक रूप से सम्मान देने में कभी संकोच नहीं किया, बल्कि स्वंय से भी अधिक उनका ही ख्याल रखा। यह अद्भुत गुण डॉ.रवि को सदा जीवित रखेगा।

भारतरत्न डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम के अत्यंत करीबी रहे डॉ.मधेपुरी की पुत्री आयुष्मति रूपम भारती की शादी जब डॉ.रवि के पुत्र आयुष्मान डॉ.अमरदीप से हुई तो उन दिनों उनकी राजनीतिक हैसियत उस ऊंचाई पर थी कि वर-वधू को टेलीग्राम एवं पत्र के माध्यम से भारत के प्रधानमंत्री रह चुके विश्वनाथ प्रताप सिंह, चंद्रशेखर, अटल बिहारी वाजपेई, इंद्र कुमार गुजराल सहित केंद्रीय रक्षा मंत्री रह चुके मुलायम सिंह यादव, रेलमंत्री नीतीश कुमार, यशवंत सिन्हा अजीत सिंह, दिग्विजय सिंह, रविशंकर प्रसाद, तस्लीमुद्दीन…….. आदि ने नव दंपति को लंबी उम्र एवं स्वस्थ व सुखमय वैवाहिक जीवन की शुभकामनाएं प्रेषित की। सूबे के शेरे बिहार राम लखन सिंह यादव, सुशील कुमार मोदी, अंबिका सिंह दादा सहित ढेर सारे मंत्रियों ने होटल मौर्या में पधार कर आयोजित वैवाहिक कार्यक्रमों में वर-वधू को शुभाशीष और घंटों रहकर डॉ.रवि को सम्मान दिया था।

अंत में डॉ.मधेपुरी ने कहा कि डॉ.रवि ने  पुस्तक “आपातकाल क्यों?” लिख तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से मिलकर उन्हें हस्तगत भी कराया और उनके अत्यंत करीबी भी बन गए। डॉ.रवि के संपूर्ण साहित्यिक एवं देश व प्रदेश को समर्पित राजनीतिक अवदानों का मूल्यांकन आने वाला समय करेगा। उन्होंने कहा कि डॉ.रवि साहित्य व राजनीति के भीष्म पितामह थे।

ईद के बाद से अब तक निरंतर सभी अखबारों में डॉ.रवि के प्रति शोक संवेदनाएं सहित शोकोद्गार प्रकाशित होते रहे, जिसकी पुनरावृति कदापि संभव नहीं। संक्षेप में यही कि जहां मधेपुरा के सांसद दिनेश चंद्र यादव ने कहा कि डॉ.रवि के निधन से शिक्षा व राजनीतिक जगत में अपूरणीय क्षति हुई है और डॉ.रवि शिक्षा दानी के रुप में सदा याद किए जाएंगे, वहीं मधेपुरा के विधायक प्रो.चंद्रशेखर ने कहा कि डॉ.रवि के निधन से एक युग का अंत हो गया, परंतु उनकी लेखनी उन्हें सदा जीवित रखेगी।

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