वैश्विक महामारी कोरोना ने लोगों के बीच की दूरियां बढ़ा दी है। लोग अपनों के लिए दौड़-दौड़ कर अस्पतालों में बेड तलाशने में लगे हैं तो कोई ऑक्सीजन के लिए इधर-उधर चक्कर लगा रहे हैं। कितनों ने तो ऑक्सीजन की अनुपलब्धता के कारण अपने माता-पिता को गवाँ बैठे हैं। सुना भी होगा कि ऑक्सीजन के आने में चंद मिनटों की देर होने पर अस्पताल में 22 लोगों ने एक साथ मौत को गले लगा लिया।
बता दें कि पूर्णिया के ऑक्सीजन प्लांट में तकनीकी खराबी हो जाने से वहां के मैक्स एवं फातिमा सरीखे अस्पतालों के साथ-साथ अन्य दर्जनों अस्पतालों में लगभग 200 से ज्यादा कोरोना एवं कुछ अन्य रोगियों की जिंदगी खतरे में पड़ गई थी। उस घड़ी उनके परिजनों की दशा कैसी रही होगी इसका अंदाजा लगाना भी मुश्किल होगा। खासकर तब जब भागलपुर कमिश्नरी मुख्यालय स्थित जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल से संपर्क साधा गया, परंतु वहां से भी ऑक्सीजन उपलब्ध होने की गुंजाइश फेल हो गई यानि वहां पर भी ऑक्सीजन नहीं मिला।
सोचिए तो सही ऐसी विकट परिस्थिति में जब एक के बाद एक फोन पूर्णिया जिला प्रशासन के साथ-साथ मैक्स आदि अन्य अस्पतालों से एमएलसी डॉ.दिलीप जायसवाल को आने लगा तो डॉ.जायसवाल, जो किशनगंज के एमजीएम मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के निदेशक भी हैं, ने बिना देर किए किशनगंज मेडिकल कॉलेज से 50 जंबो साइज का ऑक्सीजन सिलेंडर पूर्णिया भेजकर सभी अस्पतालों के कोरोना मरीजों के परिजनों के चेहरों पर मुस्कान ला दिया और तब भर्ती सैकड़ों मरीजों की जिंदगी बच गई।
चलते-चलते यह भी जानिए कि इस बात की जानकारी मिलते ही मधेपुरा के संवेदनशील समाजसेवी-साहित्यकार प्रो.(डॉ.)भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी, जो एमएलसी डॉ.दिलीप जायसवाल के अत्यंत करीबी मित्र हैं, ने डॉ.जायसवाल को फोन लगाकर कहा- “आप मानवता के पुजारी हैं… आप महान हैं। आप एमएलसी ही नहीं, आप कोरोना वारियर्स हैं…। आपके जज्बे को सारा देश सलाम करता रहेगा।”