गत वर्ष की भांति इस वर्ष भी महामारी कोरोना ने शिवरात्रि और रामनवमी की तरह ईद की खुशियों के रंग को भी भंग कर दिया। रमजान जैसे पाक महीने भर लोग मस्जिद में नमाज अदा नहीं कर पाए। छोटे-बड़े अनेकानेक शहरों में कोरोना के कारण कहीं नाईट कर्फ्यू तो कहीं लाॅकडाउन लगा रहा।
बता दें कि ईद मनाने की तारीख चांद को देखकर ही निश्चित की जाती है। कल ईद का चांद नजर आ चुका है, अतः इस साल 14 मई 2021 यानि आज जुम्मा के दिन ईद मनाई जा रही है। जानिए कि ईद-उल-फितर पर खासतौर पर सेवई बनती है, क्योंकि यह इस्लाम का पावन त्यौहार है। इसे मीठी ईद के नाम से भी जाना जाता है।
सदियों से इस पर्व के दिन लोग एक दूसरे से गले मिलकर ईद मुबारकबाद देते आ रहे थे, परंतु कोरोना के कहर में सरकारी निर्देशानुसार प्रशासन ने इस पर रोक लगा दी है। कोरोना प्रोटोकॉल के तहत “दो गज की दूरी और मास्क है जरूरी” का पालन करना अनिवार्य कर दिया गया है।
यह भी कि ईद के दिन मुस्लिम समुदाय के लोग सुबह नए कपड़े पहन कर ईदगाह में नमाज अदा करते हुए अल्लाह ताला से सुख-चैन की दुआ मांगा करते हैं, परंतु इस बार कोरोना काल में सर्वाधिक लोग अपने-अपने घरों में ही कोरोना महामारी से छुटकारा पाने की दुआ अल्लाह से मांगते हुए देखे गए।
चलते-चलते यह भी कि मधेपुरा के समाजसेवी-साहित्यकार डाॅ.भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी कोरोना काल से पूर्व ईद के दिन अपने इष्ट मित्रों एवं तत्कालीन डायनेमिक डीएम मो.सोहैल से गले मिलकर ईद मुबारक करने हेतु ईदगाह तक पहुंचते थे, परंतु इस बार बिहार में लाॅकडाउन 30 मई तक बढ़ा दिए जाने के कारण घर में ही रहकर डॉ.मधेपुरी ने अपने अत्यंत करीबी भारतरत्न डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम के तैल चित्र से गले मिलकर संदेश के रूप में यही कहा-
“घबराने की नहीं है बात, सरकार खड़ी है आपके साथ। जाग जाइए, गांव को बचाइए। गांव बचेगा तभी हिंदुस्तान बचेगा। कोरोना प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन कीजिए और जिला प्रशासन को भरपूर सहयोग दीजिए।”