कोरोना काल में इंसानों के नाम पर बड़े-बड़े गिद्धों का आगमन हो गया है। कोरोना महामारी की दूसरी लहर में जहां सारा देश चुनौतियां को चित करने में लगा है वहीं पूरे देश में कोरोना-प्राणरक्षक दवाइयों के निर्माण के नाम पर नकली दवा फैक्ट्रियाँ हर गली में काम करने लगी हैं।
सारा देश यह तमाशा देख रहा है कि जो जहां है वहीं पर लूट का बाजार गर्म कर रहा है। एंबुलेंस वाले भागलपुर से पटना तक कोरोना मरीजों को पहुंचाने के लिए 40000 तक ऐंठ लेता है। रेमडेसीवियर जैसी दवा के नाम पर 10 गुना ऑनलाइन पेमेंट लेकर लुटेरों का फोन बंद हो जाता है। वही हाल ऑक्सीजन सिलेंडर के नाम पर लूटने वालों का है, जो आधा भरा ऑक्सीजन 10 गुने दाम तक में बेच लेता है, परंतु सरकार अब तक कोई ऐसा कानून नहीं बना पाई है जिससे लुटेरों में दहशत पैदा हो सके। अब तो वैक्सीन भी ब्लैक में मिलने के रास्ते साफ नजर आने लगे हैं। हॉस्पिटल में बेड मिलने से लेकर श्मशान में दफनाने तक में दलालों और लुटेरों का ही चारों ओर बोलबाला है।
फिर भी कोरोना कर्मवीरों की कमी नहीं जो अपना सब कुछ न्योछावर कर कोरोना मरीजों की जान बचाने में लगे हैं। उन कर्मवीरों को सारा देश सलाम करता है और उन लुटेरों पर अंकुश लगाने हेतु देश के सारे रहनुमाओं से आह्वान करता है।
अंत में बकौल समाजसेवी डॉ.भूपेन्द्र मधेपुरी, रावण की तरह कोरोनावायरस भी अपने रूपों को बदलता रहता है। मौजूदा नया कोरोना वेरिएंट 15 गुना ज्यादा खतरनाक है। दो से तीन दिनों में ही मरीज को संक्रमित कर मौत के घाट उतार देता है। कई वेरिएंट तो हजार गुना खतरनाक होता है। ये डॉक्टरों को इलाज तक का समय नहीं देता है। इसलिए उन्होंने कहा कि कोरोना प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन करें और प्रशासन को सहयोग दें।