विश्व कोरोना से युद्धरत है और दूसरी ओर भारत में कोरोना की दवाइयों की कालाबाजारी और नकली दवाइयों का फ्रॉड आदि टॉप पर है। 3 लाख 52 हजार नए संक्रमितों की संख्या हो गई है। हजारों-हजार लोग कोरोना के कारण मौत को गले लगा रहे हैं। यह देखकर कुछ लोगों के अंदर का बुद्ध तो जाग उठता है वहीं इस अवस्था में भी कुछ गिद्ध दृष्टि गड़ाए कुछ कमाने में लगे रहते हैं। पूरे देश से यह शिकायत क्यों आ रही है कि टेस्ट नहीं हो रही है। टेस्टिंग के बाद भी बंगाल में कोरोना पॉजिटिव की संख्या बढ़ती क्यों जा रही है?
हाईकोर्ट ने चिंता जताते हुए कहा कि लोग जिंदगी के लिए संघर्ष कर रहे हैं और चुनावी राज्यों में कोरोना प्रोटोकॉल की धज्जियां उड़ाई जा रही है। ऐसा लगता है कि भारतीय निर्वाचन आयोग कभी-कभी दूसरे ग्रह पर चले जाते हैं। जहां से उन्हें कोरोना प्रोटोकॉल से संबंधित बहुत कुछ नहीं दिखता है। देश में सांसो पर सियासत क्यों हो रही है ?ऑक्सीजन की लूट आखिर कब तक चलेगी ?? आखिर कब तक हवा पर पुलिस पहरा करती रहेगी ??? नकली इंजेक्शन यानि दवा की जगह पानी देकर 30-30 हजार रुपये में बेचे जा रहे हैं जिसे देखने वाला कोई नहीं। ऑक्सीजन सिलेंडर भी आधी भरी फिर भी कीमत दोगुनी पर बेची जा रही है।
कोरोना की खतरनाक दौर तो अब रिश्तो को भी शर्मसार करने लगा है। लोग अपनों की मौत के बाद शव लेने से इनकार भी करने लगे हैं। यहां तक की बेटे भी मां का शव छोड़कर भागने लगे हैं। कोई-कोई तो शवों को दूसरे जिले की नदियों में फेंक कर अपनी जिम्मेदारी से भागते नजर आने लगे हैं।
अंत में संवेदनशील समाजसेवी डॉ.भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी ने बिहार वासियों के साथ-साथ देशवासियों से भी विनम्र अनुरोध किया है कि कोरोना के इस महायुद्ध में कोरोना प्रोटोकॉल का सख्ती से अनुपालन करें यानि मास्क लगाएं, दो गज की दूरी बनाए रखें और साबुन व सैनिटाइजर का निरंतर इस्तेमाल करने के अलावा वैक्सीन लगाने में लापरवाही ना करें।