बिहार के महावीर कैंसर संस्थान के निदेशक एवं महावीर मंदिर न्यास के सचिव आचार्य किशोर कुणाल ने जहां राम नवमी के अवसर पर यह कहा कि भगवान राम के पराक्रम, दैवीय गुणों और ज्ञानमय समतावादी आचरणों के चलते बिहार का कण-कण राममय है और देखा जाए तो बिहार बिना रामकथा अधूरी है, वहीं विश्व के महान समाजवादी चिंतक डॉ.राम मनोहर लोहिया ने कभी संसद में कहा था कि राम और कृष्ण को भगवान मानकर पूजनीय की कोटि में रखने के बजाय यदि अनुकरणीय माना गया होता तो समाज का सर्वाधिक भला हुआ होता।
बकौल आचार्य किशोर कुणाल यह जानिए कि चैत्र माह की नवमी तिथि को राम का जन्म श्रृंगी ऋषि द्वारा कराए गए पुत्रेष्टि यज्ञ का प्रतिफल था। उन्हीं के द्वारा स्थापित शिवलिंग मधेपुरा (सिंहेश्वर) में है और तपोभूमि मुंगेर यानि अंग प्रदेश रही है। बक्सर में ऋषियों को मुक्ति दिलाई राम ने। वहीं ताड़का वध हुआ। कभी राम-लक्ष्मण दोनों भाई गंगा-सरयू के संगम पर छपरा जिले के विशुनपूरा गांव में एक रात गुजारे तो वहीं नदी पार करने पर विशाला नगरी (वैशाली) के राजा ने राम का स्वागत किया। जनकपुर जाते समय दरभंगा के अहीरौली में अहिल्या को श्राप मुक्त कर पत्थर से नारी बनाया। विवाहोपरांत राम-परशुराम संवाद सीतामढ़ी के पंथपाकर स्थान पर हुआ… अंत में राम पुत्रेष्टि यज्ञ कराने वाले ऋषि के प्रति आभार व्यक्त करने मुंगेर और मधेपुरा (सिंहेश्वर) भी आए।
चलते-चलते यह भी कि समाजसेवी डॉ.भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी को उसी सिंहेश्वर मंदिर न्यास का सदस्य मधेपुरा के डीएम गोपाल मीणा के कार्यकाल में बिहार धार्मिक न्यास के अध्यक्ष आचार्य कुणाल किशोर द्वारा मनोनीत किया गया था। डॉ.मधेपुरी ने अपने कार्यकाल में सिंहेश्वर टेंपल ट्रस्ट द्वारा एक ‘आई हॉस्पिटल’ और दूसरा ‘वृद्धाश्रम’ निर्माण हेतु प्रस्ताव लाते रहे, परंतु सदस्यों द्वारा प्रस्ताव को अमलीजामा पहनाने में गहरी अभिरुचि नहीं देखी गई।