कोरोना संक्रमण से निपटने के लिए लाॅकडाउन को लेकर मजदूरी कर परिवार के लिए निवाला जुटाने वाले मजदूरों की फौज की तस्वीर सामने आ जाती है। मजदूरों के समक्ष रोजगार का संकट ना हो इसको लेकर राजनेताओं की सर्वाधिक मान्यताएं यही है- लाॅकडाउन नहीं थोपा जाए।
बता दें कि कोई राजनेता सिर्फ जागरूकता की बात करते तो कोई कहते कि कोरोना प्रसार रोकने हेतु वीकेंड-कर्फ्यू लगे, तो कोई कहते कि किसी कीमत पर लाॅकडाउन नहीं लगे….. वहीं कुछ का कहना है कि जो भी हो वह नियोजित हो…..। महामहिम राज्यपाल फागू चौहान का तो यही कहना है कि जो भी हो…. कोरोना संकट से निपटने के लिए एकजुटता अवश्य हो।
अंत में सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बोले कि 17 अप्रैल को राज्यपाल की अध्यक्षता में हुई वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए सर्वदलीय बैठक में सभी दलों द्वारा दिए गए महत्वपूर्ण सुझावों एवं 18 अप्रैल को डीएम-एसपी से वस्तु स्थिति की जानकारियां लेकर आपदा प्रबंधन समूह द्वारा जल्द ही निर्णय ले लिए जाएंगे।
चलते-चलते समाजसेवी डॉ.भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी ने इस बाबत पूछे जाने पर यही कहा कि मजदूरों को दृष्टिपथ में रखते हुए पांच रोज तक कोरोना प्रोटोकोल के नियमों को सख्ती के साथ पालन करते हुए रोजगार का मौका दिया जाना और सप्ताह के अंत में दो दिनों तक कर्फ्यू के दरमियान प्रशासनिक स्तर जागरूकता लाने हेतु विभिन्न विधियों से प्रचार-प्रसार करना समुचित प्रतीत होता है। कोरोना से जीतने के लिए सबों को एकजुट होकर काम करना ही पड़ेगा….!