जब आजादी के आंदोलन में नेतृत्व के शीर्ष पर महात्मा गांधी थे, तब इस धरती के दो लाल शहीद हुए- एक बाजा साह और दूसरा चुल्हाय यादव। दूसरी बार जब 1974 में राष्ट्रव्यापी छात्र आंदोलन हुआ तब नेतृत्व के शीर्ष पर थे लोकनायक जयप्रकाश। इसी जेपी आंदोलन में नर्सिंगबाग गांव के धुरगांव पंचायत का एक किशोर जो टीपी कॉलेजिएट का छात्र था, वह बर्बर पुलिस की गोली का शिकार हो गया। तारीख था 19 मार्च का और समय अपराह्न काल के बाद का। तत्कालीन एसडीओ आरएस शर्मा ने गोली चलाने का आदेश दिया था। गोली छात्र सदानंद एवं एनएन सिन्हा उर्फ घोलटु को लगी। छात्र सदानंद एसडीओ ऑफिस के पास ही घटनास्थल पर शहीद हो गए वहीं इलाज के बाद घोलटु की जान बच गई। समाज व देश के लिए जो शहादत देता है वह कभी नहीं मरता, वह अमर हो जाता है। ये बातें शहीद सदानंद केे 48वेंं शहादत दिवस पर समाजसेवी-साहित्यकार प्रो.(डॉ.)भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी ने कही।
शहीद सदानंद स्मारक के निर्माता, जेपी सेनानी एवं पूर्व एमएलसी विजय कुमार वर्मा तथा जेपी सेनानी व पूर्व विधायक परमेश्वरी प्रसाद निराला की पूरी टीम को संबोधित करते हुए डॉ.मधेपुरी ने कहा-
शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले।
वतन पर मरने वालों का यही बाकी निशां होगा।।
शहीद सदानंद के स्मारक पर जेपी सेनानियों एवं आंदोलन के साथियों ने पुष्पांजलि अर्पित की। जेपी सेनानी विजय वर्मा, परमेश्वरी प्रसाद निराला, इंद्रनारायण प्रधान, उत्तम यादव, जय किशोर यादव, प्रसन्न कुमार, विजेंद्र कुमार अमरेश कुमार, जयकांत यादव, रमण सिंह, गोपाल यादव, राजद नेता विजेंद्र प्रसाद यादव, कैलाश अग्रवाल, प्रभात रंजन, गणेश कुमार, लक्ष्मण यादव एवं सुनील कुमार यादव आदि शहीद सदानंद की शहादत को ताजिंदगी याद करते रहेंगे।
अंत में जेपी सेनानी विजय कुमार वर्मा ने सदानंद की शहादत दिवस को शहीद दिवस घोषित करने हेतु राज्य सरकार से अनुरोध किया और 74 आंदोलन के साथी मोहम्मद जुम्मन, दामोदर प्रसाद यादव एवं पूर्व विधायक व जेपी सेनानी परमेश्वरी प्रसाद निराला की धर्मपत्नी सुधा देवी के गुजर जाने पर श्रद्धांजलि स्वरुप दो मिनट का मौन रखा।