समाजवादी सोच वाली राजनीतिक पार्टियां पहले भी बारंबार टूटती और मिलती रही है। सबूत हैं सोशलिस्ट पार्टी, प्रज्ञा सोशलिस्ट पार्टी एवं संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी आदि। रालोसपा का जदयू में मिलना भी अतीत की याद दिलाती है। 8 साल बाद पुनः नीतीश के संग हो गए उपेंद्र कुशवाहा। इस विलय पर समाजवादी सोच के सारे मतदातागण भविष्य के बदलते समीकरण की ओर देखने लगे हैं।
नीतीश कुमार, उपेंद्र कुशवाहा और शरद यादव से जुड़े हुए जदयू के वरिष्ठ नेता व समाजसेवी-साहित्यकार प्रो.(डॉ.)भूपेन्द्र मधेपुरी ने कहा कि कार्यकर्तागण अपने अतीत को जाने बिना ना तो भविष्य को गढ़ सकेगा और ना ही वर्तमान में जनहित के लिए दो कदम आगे बढ़ सकेगा। डॉ.मधेपुरी ने यह भी कहा कि 7 बार मुख्यमंत्री बनने तथा विकसित बिहार का सपना देखने वाला नीतीश कुमार देश का सर्वमान्य नेता है। राजनीतिक पार्टियों में जदयू और रालोसपा के मुखिया नीतीश कुमार और उपेंद्र कुशवाहा की अलग-अलग पहचान है। इस विलय से निश्चय ही पार्टी का जनाधार बढ़ेगा तथा जल-जीवन-हरियाली जैसी जनहित वाली सारी योजनाओं को भरपूर गति मिलती रहेगी। फिलहाल पर्दे के पीछे से भी विलय के और कई शुभ संकेतों की आहट सुनाई देने लगी है।