विज्ञान दिवस पर बोले डॉ.मधेपुरी- डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम कहा करते थे कि बच्चा ही पहला वैज्ञानिक रहा होगा

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के अवसर पर भूपेन्द्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय के नॉर्थ कैंपस में  वैज्ञानिक प्रोफेसर सीवी रमण को याद किया गया। डॉ. सीवी रमण ने 28 फरवरी 1928 को ‘रमण इफेक्ट’ की खोज की और उन्हें 1930 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वर्ष 1987 से प्रतिवर्ष 28 फरवरी को देश में ‘नेशनल साइंस डे’ मनाया जाता है।

मंडल विश्वविद्यालय के नॉर्थ परिसर में भौतिकी के विभागाध्यक्ष डॉ.अशोक कुमार की अध्यक्षता में विद्यार्थियों को विज्ञान के प्रति आकर्षित करने हेतु छात्रों को विभागाध्यक्ष व अन्य शिक्षकों द्वारा प्रोत्साहित किया गया। फलस्वरूप, दर्जनों प्रोजेक्ट्स का आयोजन किया गया।

विज्ञान दिवस के अवसर पर इस साइंस प्रोजेक्ट का उद्घाटन कुलपति प्रो.(डॉ.)आरकेपी रमण ने किया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में भौतिकी के यूनिवर्सिटी प्रोफेसर डॉ.भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी एवं प्रो.(डॉ.)जगन्नाथ ठाकुर तथा विशिष्ट अतिथि के रूप में सीनेटर प्रो.(डॉ.) नरेश कुमार व डीन प्रो.(डॉ.)अशोक कुमार यादव थे।

Former University Professor of Physics Dr.B.N.Yadav Madhepuri along with VC Prof.(Dr.)RKP Raman and Prof.(Dr.)JN Thakur & others watching science projects on the occasion of National Science Day at BNMU Madhepura.
Former University Professor of Physics Dr.B.N.Yadav Madhepuri along with VC Prof.(Dr.)RKP Raman and Prof.(Dr.)JN Thakur & others watching science projects on the occasion of National Science Day at BNMU Madhepura.

सबों ने छात्र-छात्राओं के इलेक्ट्रॉनिक्स पर आधारित स्मार्ट डस्टबिन, विजिटर काउंटर एवं ऑटोमेटिक लाइटिंग सिस्टम आदि की भरपूर सराहना की। कुलपति ने इसे विभाग में लगाने की स्वीकृति भी दी। भ्रमण के क्रम में छात्राओं के प्रोजेक्टस को देखकर डॉ.मधेपुरी ने सभी अतिथियों के समक्ष कहा कि डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम बोला करते थे- बच्चा ही पहला वैज्ञानिक रहा होगा। प्रो.ठाकुर ने प्रतिभागियों से कहा कि मानव शरीर पर किरणों के प्रभाव की जानकारी अवश्य रखनी चाहिए। सबों ने प्रयोगशाला को उन्नत बनाने की चर्चा की।

अध्यक्ष डॉ.अशोक कुमार ने कहा कि 35वें  नेशनल साइंस डे दो दिनों तक मनाया जाएगा, जिसमें प्रो.(डॉ.)विमल सागर, प्रो.(डॉ.)कामेश्वर कुमार, प्रो.(डॉ.)दिनेश कुमार सिंह, प्रो.(डॉ.)अरुण कुमार, पीआरओ सुधांशु शेखर सहित सभी विभागीय कर्मियों का भी सहयोग सराहनीय एवं प्रशंसनीय रहा।

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