Mukhtar Alam is being honoured for the promotion of Maithili language.

यह कोसी अंचल गंगा-यमुनी तहजीब का शुरू से रहा है पोषक

मधेपुरा के खुदाई खिदमतगार मोहम्मद कुदरतुल्लाह काजमी (1895-1968) तत्कालीन सीरीज इंस्टिट्यूट के मेधावी छात्र थे, जहां शिवनंदन प्रसाद मंडल व बलदेव मिश्र जैसे उनके घनिष्ठ मित्र हुआ करते थे। इनकी सक्रियता 1942 के राष्ट्रीय आंदोलनों में देखते ही बनती थी। कुदरतुल्लाह साहब घर में और बाहर जनता के बीच मैथिली में बोलना अधिक पसंद करते थे। वे बिहार मैथिली महासंघ के वर्षों उपाध्यक्ष भी रहे थे और बिहार विधान परिषद के सदस्य भी।

और आज की तारीख में सहरसा के सीटानाबाद निवासी शिक्षक मुख्तार आलम को मैथिली भाषा सेवी सम्मान से सम्मानित करने की घोषणा सामाजिक सांस्कृतिक समिति मधुबनी ने की है। मोहम्मद मुख्तार आलम को मैथिली भाषा के उत्थान व जन जागृति के लिए किए गए अनेक महत्वपूर्ण कार्यों को देखते हुए 8 फरवरी (सोमवार) को मधुबनी में मैथिली सेवी सम्मान से सम्मानित किया जाएगा। मैथिली शब्द लोक के संस्थापक व संचालक मुख्तार आलम इस संस्था के बैनर तले मैथिली के उन्नयन के लिए विभिन्न कार्यक्रम करते रहे हैं और अखिल भारतीय मिथिला संघ सरीखे कई विचार मंच द्वारा सम्मानित होते रहे हैं। यह कोसी अंचल गंगा-यमुनी तहजीब का शुरू से ही पोषक रहा है।

मुख्तार आलम को मैथिली सेवी सम्मान मिलने की घोषणा पर मधेपुरा के वरिष्ठ साहित्यकारों हरिशंकर श्रीवास्तव शलभ, प्रो.(डॉ.)भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी, अरविंद श्रीवास्तव आदि और सहरसा के डॉ.ललितेश मिश्र, डॉ.महेंद्र झा, डॉ.रामनरेश सिंह सहित अन्य व सुपौल के केदार कानन आदि ने हर्ष व्यक्त करते हुए बधाई दी है।

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