आज 2 जनवरी को बीएनएमयू के पाँँचवें कुलपति डॉ.महावीर प्रसाद यादव की 95वीं जयंती पर उनकी प्रतिमा पर सर्वप्रथम माल्यार्पण किया कुलपति प्रो.(डॉ.)आरकेपी रमण, मनीषी भूपेन्द्र नारायण मंडल के अत्यंत करीबी एवं विश्वविद्यालय के विभिन्न पदों पर पदाधिकारी रहे प्रो.(डॉ.)भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी एवं विश्वविद्यालय की प्रथम महिला प्रति कुलपति प्रो.(डॉ.)आभा सिंह। विश्वविद्यालय के कुलसचिव व अन्य पदाधिकारीगण द्वारा भी माल्यार्पण व पुष्पांजलि किया गया।
विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित सिंडिकेट की बैठक में कुलपति, प्रति कुलपति, कुलसचिव आदि को शिरकत करनी थी इसलिए महावीर बाबू के साथ साया की तरह रहने वाले डॉ.मधेपुरी ने चंद मिनटों में उद्गार प्रकट करते हुए कहा- आदमी दुनिया से चला जाता है, वह पंचतत्व में विलीन हो जाता है, परंतु उनके द्वारा किए गए काम यहीं पर बुद्ध की तरह ठहर जाते हैं। इसलिए तो लोग उन्हें टीपी कॉलेज का विश्वकर्मा कहते हैं। महावीर बाबू के कर्मों की खुशबू का असर कभी कम नहीं होगा।
डॉ.मधेपुरी ने खासकर प्रति कुलपति महोदया को जानकारी के तौर पर महावीर बाबू के संबंध में इतना ही कहा- वे 1953 में मधेपुरा आये। टीपी कॉलेज में व्याख्याता बने। 1962 में वाइस प्रिंसिपल बने। संस्थापक प्राचार्य रतन चंद के साथ मिलकर इतना काम किए कि 1968 में भूपेन्द्र नारायण मंडल ने अपनी सोशलिस्ट पार्टी से उन्हें विधानसभा का टिकट देकर चुनाव में खड़ा किया। महावीर बाबू चुनाव जीते और बीपी मंडल सरकार में शिक्षा मंत्री बने। गुरु डॉ.के.के.दत्ता को पटना विश्वविद्यालय के वीसी पद पर एक वर्ष का विस्तारीकरण देकर गुरु भक्ति का उदाहरण पेश किया। सांंसद बने, दो विश्वविद्यालयों के प्रति कुलपति और 1995 से मृत्युपर्यंत कुलपति बनकर बीएनएमयू की सेवा की। अंत में डॉ मधेपुरी ने उनके पुत्र प्रो.(डॉ.)अरुण कुमार, विभागाध्यक्ष जंतु विज्ञान (पीजी) एवं डीएसपी मनोज कुमार आदि द्वारा उनकी समाधि पर अंकित कराई गई पंक्तियों को दोहराते हुए कहा-
गुजरेंगे तेरे बाद भी कुछ लोग यहां से
पर तेरी खुशबू का असर कम नहीं होगा।