Rudyard Kipling

ब्रिटिश भारत में जन्मे रूडयार्ड किपलिंग साहित्य का प्रथम नोबेल पुरस्कार विजेता बने

आज ही के दिन यानि 30 दिसंबर 1865 को ब्रिटिश भारत के वर्तमान मुंबई (तब के बॉम्बे) शहर में मां एलिस किपलिंग की गोद में बालक रूडयार्ड किपलिंग का जन्म हुआ था। किपलिंग उच्च कोटि के पत्रकार, लघु कथा लेखक, उपन्यासकार और कवि के रूप में चर्चित रहे। वे बाल साहित्य, यात्रा साहित्य और विज्ञान कथाएं लिखने में प्रवीण थे।

बता दें कि मुंबई में जन्मे रूडयार्ड किपलिंग को मुख्य रूप से यह दुनिया उनकी पुस्तक “द जंगल बुक” के लिए जानती है जिसे उन्होंने 1894 में कहानियों के संग्रह के रूप में लिखकर प्रकाशित कराई थी। उनके द्वारा लिखी गई अन्य प्रमुख पुस्तकें “द मैन हु वुुड बी किंग” वर्ष 1888 में, “गंगा दीन” वर्ष 1890 में, साहसिक कहानियां “किम” वर्ष 1901 में और “इफ” वर्ष 1910 में उन्हें शोहरत के शिखर पर पहुंचा दिया।

जानिए कि मुंबई में जन्म लेने के कुछ वर्षों बाद उन्हें ब्रिटेन भेज दिया गया जहां उन्होंने स्कूली शिक्षा ग्रहण की। पढ़ाई समाप्त कर वे 20 सितंबर 1882 को भारत के लिए रवाना हुए और 18 अक्टूबर को मुंबई लौट आए। भारत आते ही उन्होंने एक अंग्रेजी अखबार में नौकरी शुरू की तथा वे लघु कथाओं के साथ-साथ कविताएं भी लिखने लगे। सात वर्षों के बाद यानि 1889 में रूडयार्ड किपलिंग पुनः ब्रिटेन लौट गए।

यह भी जानिए कि वर्ष 1894 में उन्होंने सर्वाधिक प्रसिद्ध पुस्तक “जंगल बुक” लिखी जिसके लिए उन्हें 1907 में साहित्य के लिए पहला नोबेल पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया। वे अंग्रेजी भाषा के पहले युवा लेखक हुए जिन्हें यह नोबेल पुरस्कार मिला।

चलते-चलते यह भी बता दें कि रूडयार्ड  झील में उनकी साहसी माताश्री एलिस किपलिंग एवं मूर्तिकार पिताश्री लाॅकवुुड किपलिंग  एक दूसरे से प्रेम-संबंध में बंधेे थे और झील की सुंदरता से मोहित होकर उन दोनों ने अपने पहले जन्मे बच्चे का नाम उस झील को यादगार बनाए रखने के आधार पर रूडयार्ड किपलिंग रखा था। तब के मुंबई स्थित सर जेजे स्कूल आफ आर्ट में रूडयार्ड किपलिंग के पिताश्री मूर्तिकला के प्रोफेसर थे और परिसर में जहां रहते थे उस घर का जीर्णोद्धार करके एक संग्रहालय में परिवर्तित किए जाने की घोषणा भी स्कूल प्रशासन द्वारा 2007 में की गई। कदाचित उसी जगह पर लकड़ी से बना एक नई कुटीर का निर्माण किया गया है जिसे भविष्य में रूडयार्ड संग्रहालय का रूप दिया जायेगा है।

 

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