जदयू का एक शख्सियत जो ज्यादा सुर्खियों में रहना पसंद नहीं करता, परंतु पार्टी के रणनीतिकार के रूप में पर्दे के पीछे रहकर चुनावी रणनीति को सफलतापूर्वक अमलीजामा पहनाने में कुशल हैै- वही तो है नीतीश कुमार के अच्छे दोस्त, सियासी सलाहकार और भारतीय प्रशासनिक सेवा के सेवानिवृत्त अधिकारी व पार्टी के राज्यसभा सांसद आरसीपी सिंह, जिन्हें जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में स्वयं नीतीश कुमार ने रखा जिसे सर्वसम्मति से पारित किया गया। प्रदेश मुख्यालय स्थित कर्पूरी ठाकुर सभागार में रविवार को सर्वप्रथम नीतीश कुमार ने अपने पद से इस्तीफा देने की घोषणा की और तत्पश्चात आरसीपी को पार्टी अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव भी दिया। बैठक में तमिलनाडु, केरल, पश्चिम बंगाल, झारखंड…. आदि से आए प्रतिनिधि भी शिरकत कर रहे थे।
आज जदयू राष्ट्रीय परिषद की मुहर लगने के बाद नए वर्ष के तोहफे के रुप में जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर आरसीपी सिंह के नाम की विधिवत घोषणा भी कर दी गई है।
जानकारों का मानना है कि अरुणाचल प्रदेश में जदयू के 6 विधायकों को भाजपा में शामिल कराए जाने के व्यवहार और बिहार में जदयू को 43 तो भाजपा को 74 सीटें मिलने के कारण एक पूर्णकालिक राष्ट्रीय अध्यक्ष की जरूरत महसूस की गई और उसी के फलस्वरूप आरसीपी को जदयू का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया।
जानिए कि नीतीश के इस निर्णय को जदयू के सभी कार्यकर्ताओं ने सिर आंखों पर रख लिया है और जुनून के साथ पार्टी को मजबूती प्रदान करने हेतु संकल्प भी ले लिया। बकौल पार्टी के वरिष्ठ नेता डॉ.भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी, एमएलसी ललन सर्राफ के निवास पर कई बार आरसीपी से उनकी मुलाकातें हुई, देर तक बातें हुई। डॉ.मधेपुरी ने आज भरोसे के साथ कहा कि आरसीपी सरीखे राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) की काबिलियत को देखकर पार्टी ने जो निर्णय लिया है वह आने वाले दिनों में पार्टी को तीसरे नंबर से पहले नंबर पर लाने में अवश्य ही कारगर सिद्ध होगा।