सूबे के सभी वर्गों के परिवारों की भूमि समस्याओं के प्रति संवेदनशील रहे हैं मुख्यमंत्री नीतीश। विगत वर्षों में मात्र ₹100 में पारिवारिक भूमि के आपसी बंटवारे का रजिस्ट्रेशन भूमि-विवाद को कम करने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है। वर्तमान नीतीश सरकार ने पुनः महसूसा है कि 60% से ज्यादा क्राइम भूमि-विवाद के कारण होता है। यूं तो 2005 से ही शुरू किए गए ‘जनता के दरबार में मुख्यमंत्री’ कार्यक्रम के दौरान सीएम नीतीश कुमार ने प्रदेशवासियों की ज्यादातर समस्याएं जमीन विवाद से जुड़ी देख कर उन्हें तब से आज तक हर तरह से निपटाने में लगे हुए हैं।
जानिए कि सीएम नीतीश ने यही कहा है कि भूमि विवाद को कम करना ही हमारी सरकार का उद्देश्य है। सीएम ऐसे उपाय की तलाश में हैं कि जमीन के स्वामित्व में कोई गड़बड़ी नहीं रह सके। उन्होंने कहा कि समाज में शांति रहने से ही विकास का लाभ लोगों को मिल पाएगा। भूमि से संबंधित समस्याओं के समाधान से समाज में काफी शांति स्थापित होगी।
बता दें कि मुख्यमंत्री ने राज्य में जमीन संबंधी आपसी विवाद के निपटारे को प्राथमिकता देते हुए निर्देश जारी किया है- महीने में एक बार डीएम-एसपी, पखवाड़े में एक बार एसडीएम-एसडीपीओ तथा सप्ताह में 1 दिन सीओ-थानेदार निश्चित रूप से जनता की समस्याओं को निपटाने हेतु बैठक करें तथा जो गड़बड़ी करे उसपर कठोर कानूनी कार्रवाई करें।
चलते-चलते यह भी कि सीएम ने यह भी निर्देश दिया है कि जमीन के वास्तविक कागजात अंचल कार्यालय में ही रखे जाएं, उनकी स्कैनिंग भी कराई जाय ताकि रिकॉर्ड पूरी तरह से सुरक्षित रहे तथा सीओ का आपदा के आवश्यक कार्यों को छोड़कर विभागीय कार्यो में ही सर्वाधिक उपयोग किया जाय। साथ ही लोक शिकायत निवारण कानून के अंतर्गत जमीन से संबंधित पेंडिंग पड़े कार्यो का तेजी से निपटारा करें। आलाधिकारी राजस्व विभाग से जुड़े सभी कर्मचारियों की बेहतर मॉनिटरिंग करें तथा भूमि संबंधी जन समस्याओं को दूर करने में लगें।
अंत में जिलाधिकारी नवदीप शुक्ला (भाप्रसे) की टीम के आलाधिकारियों एडीएम उपेंद्र कुमार एवं एसडीएम नीरज कुमार आदि द्वारा अंचल कार्यालय को इमरजेंसी मॉनिटरिंग शुरू करने को लेकर समाजसेवी डॉ.भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को हृदय से साधुवाद दिया है। उनके प्रयास की भी भरपूर सराहना की है।