18 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आरा में ‘बिहार पैकेज’ की घोषणा की। चुनावी ‘सावन’ में एक लाख पैंसठ हजार करोड़ बरसे बिहार पर। अभी ‘सावन’ बीतने ही वाला था कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ‘निश्चय’ कर दो लाख सत्तर हजार करोड़ और बरसा दिये बिहार पर। इस खासमखास ‘सावन’ को शायद ही भूले बिहार। जब मोदी का पैकेज आया तो कहा गया ‘चुनावी रिश्वत’ है… ‘जुमला बाबू’ बहुत बड़ा ‘झांसा’ दे रहे हैं… बिहार की बोली लगाई जा रही है और ना जाने क्या-क्या। अब जो नीतीश ने दो लाख सत्तर हजार करोड़ की ‘बरसात’ की है, उसे क्या कहेंगे – ‘रिश्वत’, ‘झांसा’ या ‘बोली’..? सौ बात की एक बात ये है कि कुछ भी कह लें मोदी और कुछ भी दे दें नीतीश, जनता जानती है कि लक्ष्य दोनों का एक है। ये दोनों जो भी दे रहे हों, जिस भी तरह दे रहे हों, बदले में लेना उन्हें एक ही चीज है और वो है आनेवाले चुनाव में जीत का आंकड़ा। बहरहाल, हम किसी भी तरह जोड़, घटाव, गुणा या भाग करके देख लें, कम हो या ज्यादा बिहार का भला तो तय है। अब इससे क्या फर्क पड़ता है कि कौन दे रहा है और क्यों दे रहा है। महत्वपूर्ण ये है कि मिल बिहार को रहा है।
बहरहाल, 28 अगस्त को नीतीश कुमार ने प्रेस कांफ्रेंस करके ‘व्यक्तिगत चिन्तन’ के आधार पर बिहार के लिए दो लाख सत्तर हजार करोड़ की भविष्य की योजना का प्रारूप सामने रखा। इस विज़न डॉक्यूमेंट को नाम दिया गया है – “नीतीश निश्चय : विकास की गारंटी, विकसित बिहार के सात सूत्र”। ये सात सूत्र हैं – 1. महिलाओं को सरकारी नौकरी में 35% आरक्षण, 2. युवाओं के लिए स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड, 3. स्वयं सहायता भत्ता जिसके तहत युवाओं को एक साल के नौ महीने के लिए एक-एक हजार रुपये दिये जाएंगे जिसका उपयोग वे फॉर्म भरने, इंटरव्यू के लिए जाने आदि में कर सकते हैं, 4. विश्वविद्यालय तथा कॉलेजों में मुफ्त वाई-फाई की सुविधा, 5. हर घर तक स्वच्छ जल की आपूर्ति, 6. हर गांव को पक्की सड़क और 7. 2016 के बाद पाँच साल में हर घर को मुफ्त बिजली कनेक्शन।
बकौल नीतीश ये पैकेज नहीं कमिटमेंट है। उन्होंने स्पष्ट किया कि वे ना तो सीएम और ना ही जदयू के नेता के रूप में कोई घोषणा कर रहे हैं। उऩ्हें व्यक्तिगत तौर पर लगता है कि अगले पाँच साल में यही काम होने चाहिएं। अगर उन्हें फिर से मौका मिला तो वे इन योजनाओं को अमलीजामा पहनाएंगे। साथ ही पुरानी योजनाओं को भी अपडेट करेंगे। हालांकि वे यह नहीं बता पाए कि इतने पैसे कहाँ से आएंगे।
एक तरीके से नीतीश ने अपना ‘घोषणापत्र’ जारी कर दिया। अच्छी बात है कि इस मामले में वे औरों से आगे निकल गए। लेकिन इस ‘हड़बड़ाहट’ में वे लालू को ‘भूल’ गए। उन्हें ये पता होना चाहिए कि ‘महागठबंधन’ में मिली सौ की सौ सीटें भी वे जीत जाएं तो भी बगैर लालू के उनका ‘विज़न’ जमीन पर नहीं उतर सकता।
मधेपुरा अबतक के लिए डॉ. ए. दीप