CM Nitish Kumar and both Deputy CM.

बिहार में दो उपमुख्यमंत्री पहली बार और नीतीश ने सीएम की शपथ ली सातवीं बार

नीतीश बनने जा रहे हैं बिहार के दूसरे ‘केसरी’ पर कमी खलेगी सुमो की। जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार तो मुख्यमंत्री बन गए सातवीं बार, परंतु सबसे बड़ा सवाल यह है कि नीतीश तो वहीं रह गए और भाजपा ने पूरे घर को ही बदल दिया। राजनीति के गलियारों में फिलहाल यही आवाज गूंजती हुई सुनी जा सकती है कि क्या नीतीश-सुमो जैसा तालमेल नए उप मुख्यमंत्री द्वय (तार किशोर व रेणु देवी) बना पाएंगे या फिर बारंबार सुशील मोदी की कमी महसूसते रहेंगे नीतीश कुमार।

बता दें कि बिहार केसरी के नाम से विख्यात प्रथम मुख्यमंत्री श्री कृष्ण सिंह के बाद सबसे लंबी अवधि तक बिहार के मुख्यमंत्री रहने का रिकॉर्ड सातवीं बार सीएम की शपथ लेने वाले नीतीश के नाम होता दिख रहा है… और वर्तमान कार्यकाल में यदि सब कुछ ठीक रहा तो श्री बाबू को भी पीछे छोड़ देंगे नीतीश कुमार।

जानिए कि वर्तमान नीतीश सरकार में सीएम सहित कुल 15 मंत्रियों को महामहिम राज्यपाल फागू चौहान ने कल शपथ दिलाई है, जिसमें 14 में से 9 चेहरे नये हैं। जदयू ने तीन पुराने तो भाजपा ने दो पुराने चेहरों को दिया मौका। जदयू के 1990 से ही बिहार को रोशन करने वाले ऊर्जा मंत्री रहे विजेंद्र प्रसाद यादव, विधानसभा अध्यक्ष रह चुके विजय कुमार चौधरी जो पूर्व में कृषि मंत्री भी रहे हैं तथा तीसरे पुराने चेहरे हैं अशोक चौधरी जो पिछली एनडीए सरकार में भवन निर्माण मंत्री भी थे वहीं भाजपा ने पिछली सरकार में मंत्री रहे मंगल पांडे को मंत्री तथा एनडीए सरकार में कला संस्कृति एवं युवा मामले के मंत्री रह चुकी रेणु देवी को उप मुख्यमंत्री का पद दिया है।

यह भी कि सातवीं बार बिहार की बागडोर संभालने वाले नीतीश कुमार के मंत्रिमंडल में मिथिलांचल का दबदबा है। जानिए कि 14 मंत्रियों में केवल मिथिलांचल के ही 5 मंत्री हैं। साथ ही नीतीश मंत्रिमंडल में मुख्यमंत्री सहित कुल 5 विधान पार्षद होंगे जिसमें मंगल पांडे और संतोष सुमन दोनों मंत्री पूर्व से विधान पार्षद हैं और दो मंत्री अशोक चौधरी और मुकेश सहनी तो फिलहाल किसी भी सदन के सदस्य नहीं है। इन दोनों को भी कदाचित विधान परिषद के सदस्य मनोनीत कर लिए जाएंगे।

चलते-चलते यह जान लीजिए कि नीतीश सरकार जनता की सरकार है और 5 वर्षों तक जनहित के कार्यों में जुटी रहेगी, क्योंकि गृह मंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा दोनों एकजुटता का संदेश देने के लिए ही तो आए थे।

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