बिहार के गहलौत में पहाड़ काटकर रास्ता बनाने वाले दशरथ मांझी के संकल्प की तरह 10 हजार फीट की ऊंचाई पर 9 किलोमीटर लंबी ‘अटल सुरंग’ बनाकर भारत ने यह साबित कर दिया कि संकल्प यदि सबल हो तो पहाड़ भी रास्ता छोड़ देता है। भले ही इस सुरंग को तैयार होने में 10 वर्ष ही क्यों न लगे हों, परंतु इस अटल सुरंग के बनने से हिमाचल प्रदेश के मनाली से लद्दाख के लेह के बीच के सफर की 46 किलोमीटर घट गई और यात्रियों को 4 घंटे की बचत भी हो गई।
बता दें कि इस प्रोजेक्ट के डायरेक्टर कर्नल परीक्षित मेहरा ने कहा कि इस सुरंग को बनने हेतु 6 वर्ष के समय निर्धारित किए गए थे, परंतु समय-समय पर मौसम की गड़बड़ी से उत्पन्न बाधाओं के कारण लगभग 4 वर्ष अधिक यानि कुल 10 वर्ष का समय लग गया।ज्ञातव्य हो कि 1 साल में सिर्फ 5 महीने ही काम हो पाता था।
श्री मेहरा ने कहा कि मनाली और लेह को जोड़ने के लिए जो सपना देखा था वह पूरा हुआ। उन्होंने कहा कि यह कनेक्टिविटी को मजबूत करने की दिशा में पहला कदम था जिसे भारत सरकार ने भारतरत्न अटल बिहारी वाजपेयी सरीखे संकल्पी प्रधानमंत्री के नाम पर ‘अटल सुरंग’ रखा है।
चलते-चलते यह भी जान लें कि इस अटल सुरंग को बनाने में 2 हजार 9 सौ 58 करोड़ रुपये खर्च हुए। इस सुरंग की विशेषता यह है कि इसमें प्रत्येक 500 मीटर की दूरी पर इमरजेंसी एग्जिट बनाया गया है। प्रत्येक 150 सौ मीटर की दूरी पर 4-जी की सुविधा भी है। प्रत्येक 60 मीटर की दूरी पर सीसीटीवी लगाए गए हैं।