Sharad Yadav and Nisish Kumar

क्यों खड़े हैं दो छोड़ पर जदयू के दो शीर्ष नेता..?

हार्दिक पटेल… महज 22 साल का यह युवक गुजरात समेत पूरे देश के आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है। गुजराती समाज और राजनीति में खासा महत्व रखने वाला पटेल समुदाय आज इस युवक के पीछे खड़ा है। पटेल समुदाय के लिए आरक्षण की मांग कर रहे इस युवक ने 25 अगस्त को जबरदस्त रैली कर प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की तमाम सुर्खियां अपने नाम कर ली हैं। गुजरात सरकार से लेकर केन्द्र सरकार तक की नींद उड़ गई दिखती है। चंद दिनों में इस शख्स़ ने हैरत में डाल देनेवाली चर्चा हासिल की है… जैसे रातोंरात चमत्कार हो गया हो कोई। हार्दिक के आन्दोलन का असर इतना व्यापक और गहरा है कि भारतीय राजनीति के तमाम दिग्गज विवश हैं अपनी राय देने को। आज या तो पटेल समुदाय को आरक्षण का समर्थन किया जा सकता है या फिर विरोध… तटस्थ रहने के सारे मार्ग इस युवक ने बंद कर दिये हों जैसे।

हालात ऐसे हैं कि इस मुद्दे पर अब एक दल में भी दो तरह की राय दिखने लगी है। जी हाँ, लगता है कि हार्दिक पटेल ने बिहार की राजनीति में भी हाहाकार मचाने की ठान ली है..! कारण ये कि पटेल समुदाय को आरक्षण देने के मुद्दे पर जदयू के दो शीर्ष नेता शरद यादव और नीतीश कुमार की राय एक-दूसरे से बिल्कुल अलग है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जहाँ हार्दिक पटेल के आन्दोलन का समर्थन किया है वहीं दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव पटेल समुदाय के आरक्षण के पक्ष में नहीं हैं। नीतीश एक ओर हार्दिक पटेल को महाक्रांति रैली के लिए बधाई देते हुए उनकी मांग को जायज बताते हैं और तर्क देते हैं कि दूसरे राज्यों में पटेल समुदाय के समकक्ष समुदायों को आरक्षण का लाभ मिल रहा है। वहीं शरद की राय में पटेल समुदाय सक्षम और सम्पन्न है तथा उन्हें आरक्षण की जरूरत नहीं है। जब उनसे कहा गया कि नीतीश इस आरक्षण का समर्थन कर रहे हैं तो उन्होंने कहा कि नीतीश की बात नीतीश जानें। 26 अगस्त को मधेपुरा में प्रेस से बात करते हुए उन्होंने दो टूक अपनी बात कही। उनके अनुसार हार्दिक के नेतृत्व में हंगामा कर यह समुदाय अपनी बात मनवाना चाहता है जो सही नहीं है।

भले ही इस मुद्दे का बिहार की राजनीति से सीधे तौर पर कोई लेना-देना ना हो, भले ही ये महज शरद और नीतीश का सैद्धांतिक मतभेद भर हो लेकिन बिहार के आसन्न चुनाव को देखते हुए जदयू के इन दो शीर्ष नेताओं का इतने महत्वपूर्ण मुद्दे पर एकदम दो छोर पर खड़ा होना हल्के में लेने वाली बात नहीं है। खास तौर पर तब तो हर्गिज नहीं जब हार्दिक गुजरात में खड़े होकर पटेल समुदाय की मौजूदगी पूरे देश में बता रहे हों और यह विशेष तौर पर चिह्नित कर रहे हों कि बिहार में नीतीश कुमार हमारे हैं ।

मधेपुरा अबतक के लिए डॉ. ए. दीप

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