वैश्विक महामारी कोरोना के चलते 74वाँ स्वतंत्रता दिवस सुबह से शाम तक फीका रहा। सड़कों पर तिरंगे परिधानों में ना तो बच्चे-बच्चियां कहीं दिखीं और ना ही विगत वर्षो की भांति देशभक्ति वाले गीतों की गूंज ही सुनाई दी। बच्चों के बिना सड़कें सूनी और वातावरण दिन भर उदास रहा।
गांधी मैदान में जहां 74वें स्वतंत्रता दिवस समारोह में राष्ट्रीय ध्वजारोहण के बाद सूबे के मुखिया मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि सेवा हमारा धर्म है और हमारा संकल्प है- बिहार को राष्ट्रीय मानचित्र पर एक खुशहाल राज्य का स्थान दिलाने का…. वहीं मधेपुरा जिले के प्रमुख जिलाधिकारी नवदीप शुक्ला ने बी एन मंडल स्टेडियम में तिरंगा फहराने के बाद जल-जीवन-हरियाली से लेकर गली-नाली योजना तक एवं जन नायक कर्पूरी मेडिकल से लेकर बीपी मंडल इंजीनियरिंग कॉलेज तक की विस्तृत चर्चाएं की और यह भी कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को यह ख्याल रखना जरूरी है कि उनकी स्वतंत्रता से दूसरों को तकलीफ नहीं पहुंचे।
जहां एक ओर भूपेन्द्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय परिसर में कुलपति प्रो.(डॉ.)ज्ञानांजय द्विवेदी ने ध्वजारोहण के बाद अपने विस्तृत संबोधन में आजादी को ‘स्वराज’ कहा जो प्रत्येक सचेतन भारतीय को जिम्मेदारियों का अहसास कराता है वहीं समाजवादी चिंतक भूपेन्द्र नारायण मंडल के नाम भूपेन्द्र चौक पर समाजसेवी-साहित्यकार प्रो.(डॉ.)भूपेन्द्र नारायण मधेपुरी ने राष्ट्रीय ध्वजारोहण के पश्चात सेनानियों का स्मरण करते हुए अपनी ‘आजादी’ कविता के अंश प्रस्तुत करने से पूर्व स्वतंत्रता सेनानियों के साथ-साथ शहीद चुल्हाय एवं शहीद बाजा साह सरीखे देश की आजादी के लिए प्राण न्योछावर करने वालों को भी याद किया और यही सुनाया-
अपने मजहब भूल गए सब
तब मजहब था रे आजादी
मृत्यु वरण करने तक सारे
संकल्पित थे वे फौलादी
चलते-चलते यह भी बता दें कि प्रखंड से लेकर जिले तक के सभी विद्यालयों-महाविद्यालयों में बिना बच्चे-बच्चियों के झंडोत्तोलन हुआ। कोरोना के चलते बाजार में खरीद-बिक्री भी इस बार बहुत फीकी रही।