कोरोना लॉकडाउन के बावजूद सभी संस्थानों एवं जिले के कोने -कोने में ‘पृथ्वी दिवस’ पर पौधरोपण का आयोजन किया जा रहा है। लोग पौधरोपण में सवेरे से इस कदर व्यस्त हैं कि कोरोना को भी भूल गए हैं। जल-जीवन-हरियाली की महत्ता को जानने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की घोषणा को अमलीजामा पहनाने हेतु एक करोड़ वृक्षारोपण करने की ओर युवाओं ने कदम बढ़ा दिया है। क्योंकि युवाओं को पता है कि पेड़ों की अंधाधुंध कटाई से धरती पर बारिश का अभाव, गर्मी का बढ़ता प्रभाव तथा औषधीय वनस्पतियों का मिलना दुर्लभ हो गया है। इसके अलावे निराश्रित वन प्राणी जैसे अजगर, चीते, हिरन आदि के गांव में घुसने की घटनाएं आम हो गई है।
बकौल समाजसेवी- साहित्यकार प्रो.(डॉ.) भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी…. वृक्ष हमारे शिक्षक हैं, सहयोगी हैं और हमारे सच्चे साथी भी हैं। वृक्ष हमेशा पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाता है तथा जल-प्रदूषण को भी नियंत्रित करता है। यूएसए के स्कूलों में वृक्षों की संख्या कम रहने के कारण वहां के बच्चों को स्किन-कैंसर अधिक होने लगा है।
डॉ. भूपेन्द्र मधेपुरी ने यह भी कहा कि ये पेड़-पौधे ही हैं जो हमें जीवनदायी ऑक्सीजन सदा प्रदान करते हैं और धरती को भी जीने योग्य बनाते हैं। गांधीयन मिसाइल मैन भारतरत्न डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम उड़ीसा के जंगल में रॉकेट लॉन्चिंग स्टेशन हेतु जमीन सर्च करने के दौरान एक पेड़ को बचाने के लिए अपने जूनियर वैज्ञानिकों के साथ बिल्कुल खाली जगह खोजने में घंटों पसीने बहाते रहे थे। डॉ.कलाम जानते थे कि ये पेड़-पौधे हमें जीवनदायी ऑक्सीजन प्रदान करते हैं तथा पशु-पक्षी को आवासीय सुविधाएं भी देते हैं और साथ-साथ सभी प्रकार के हानिकारक गैसों यथा अमोनिया, कार्बन मोनोऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड आदि को अपने पत्तों द्वारा अवशोषित भी करते हैं।
बता दें कि डॉ.मधेपुरी ने यह भी कहा कि वायु-प्रदूषण एवं जल-प्रदूषण मानव जीवन को विनाश की ओर ले जाता है। इस विनाश से मानव को बचाने का एक ही उपाय है ‘वृक्षारोपण’। एक स्वस्थ वृक्ष अपनी पूरी जिंदगी में 17 लाख रुपए कीमत का ऑक्सीजन हमें देता है। नीम, पीपल और तुलसी सर्वाधिक आक्सीजन हमें देता ही है फिर भी फलदार वृक्ष लगाना भी हर दृष्टिकोण से लाभदायक ही है।
ये सारी बातें डॉ.मधेपुरी ने अपने वृंदावन में आज “पृथ्वी-दिवस” को सेलिब्रेट करते हुए कही तथा एक ‘आम्रपाली’ का पौधारोपण भी परिजनों की उपस्थिति में किया। उन्होंने अंत में यह भी कहा कि पर्यावरण संरक्षण के लिए चारों ओर पौधरोपण, संकल्प तथा जागरूकता फैलाने वाली विचार गोष्ठियों का सप्ताहिक आयोजन सभी संस्थानों द्वारा निरंतर चलाते रहना चाहिए।