अयोध्या के राम मंदिर-बाबरी मस्जिद के बंद ताले को देश के युवा प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने ही सर्वप्रथम खोला था। नरेंद्र मोदी तो नौवाँ प्रधानमंत्री हुए जिन्होंने कानून के जरिए शांतिपूर्ण तरीके से श्री राम मंदिर निर्माण हेतु आज 5 अगस्त को अयोध्या में भूमि पूजन कर क्रांतिकारी इतिहास रच दिया है। इस बीच में अटल बिहारी बाजपेयी जैसे सर्वमान्य, जनप्रिय व संकल्प के धनी प्रधानमंत्री के कार्यकाल में उप-प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी के सोमनाथ से अयोध्या तक की राम-रथ-यात्रा संपूर्ण भारत को किस कदर आंदोलित किया था उसे बच्चा-बच्चा जानता है।
कोरोना के कहर से आज संपूर्ण संसार में कोहराम मचा हुआ है और अयोध्या में राम मंदिर निर्माण हेतु भूमि पूजन को प्रधानमंत्री मोदी ने अपने लिए सौभाग्य की बात कहते हुए यही कहा- “सदियों का इंतजार खत्म हुआ। पूरा देश रोमांचित है। आज पूरा भारत भावुक है। आज सियाराम की गूंज पूरेे विश्व में है। टेन्ट के नीचे रहे सियाराम अब भव्य मंदिर में रहेंगे। राम भारत की मर्यादा है। राम सबके हैं, राम सब में है। यह मंदिर राष्ट्रीय भावना का प्रतीक बनेगा। राम का काम करने पर चैन मिलता है।”
जहां राहुल गांधी ने ट्वीट में लिखा है- मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम सर्वोत्तम मानवीय गुणों का स्वरुप है। राम प्रेम है, वे कभी घृणा में प्रकट नहीं हो सकते। राम करूणा है, वे कभी क्रूरता में प्रकट नहीं हो सकते और राम न्याय है, वे कभी अन्याय में प्रकट नहीं हो सकते- वहीं प्रियंका गांधी ने कहा कि ये भूमि पूजन व राम मंदिर निर्माण आदि सांस्कृतिक समागम, राष्ट्रीय एकता एवं विश्व बंधुत्व का कार्यक्रम बनना चाहिए।
भाकपा माले ने आज के दिन को काला दिवस करार दिया परंतु देश के लोग जो अयोध्या नहीं पहुंचे वे क्या कहते हैं ?
उनका कहना है कि जिन भाजपा वालों ने पुरुषोत्तम भगवान राम को टेंट से भव्य मंदिर में लाने की बात कही, आजादी के संघर्ष से इसकी तुलना की और यह भी कि राम का काम करने पर ही चैन मिलता है। जिन कांग्रेसियों ने भगवान राम के प्रेम, करुणा और न्याय की बात की और जिन कम्युनिस्टों ने आज के दिन को काला दिवस कहा- क्या वे यही न्याय करते रहेंगे कि 35 वर्षों तक सर्विस करने वालों को पेंशन नहीं और दो दिन भी सेवक या प्रधान सेवक के रूप में विधायक-सांसद रहने पर उनके परिजन सदा पेंशन के हकदार बने रहेंगे। वे अपने से अपना वेतन (चाहे कम्युनिस्ट ही क्यों ना हो) जब चाहें जितना चाहें बढ़ाते रहेंगे और सर्विस करने वाले राष्ट्र निर्माता नियमित या नियोजित शिक्षकों को समान काम के लिए समान वेतन और समान सुविधाओं से वंचित रखेंगे। राजा राम की तरह खुद के लिए शासक कुछ ना सोचें जो कुछ करें वह देश की जनता के लिए न्यायपूर्वक करें।