संपूर्ण भारतीय भारत रत्न डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम ने विकसित भारत का सपना देखा था। डॉ.कलाम जब पृथ्वी को जीने योग्य बनाने के निमित्त 27 जुलाई 2015 को शिलांग में आईआईएम (इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट) के छात्रों के बीच गंभीरता पूर्वक चर्चा कर रहे थे कि उसी दरमियान उनके हृदय की गति रुक गई और उन्होंने दुनिया को अलविदा कहते हुए अंतिम सांस ली। जब तक वे छात्रों से चर्चा करते रहे वे जवाबों के बजाय सवालों को ज्यादा पसंद करते थे तथा समाधानों के बजाय समस्याओं को ध्यान से सुना करते थे। वे एक ऐसे शिक्षक थे जो जीवन भर विद्यार्थी बने रहे। भले ही डॉ.कलाम हमारे बीच नहीं हैं परंतु उनका आत्मिक शरीर सदा एक महान शिक्षक बने रहेंगे- ये बातें मधेपुरा के कलाम कहे जाने वाले डॉ.भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी उनकी 6वीं पुण्यतिथि के अवसर पर युवाओं के बीच अपने वृंदावन निवास पर इस कोरोना काल में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए कहीं। सबों ने पुष्पांजलि की।
मौके पर अध्यक्षता करते हुए डॉ.मधेपुरी ने कहा- “डॉ.कलाम को शिक्षक बने रहना और शिक्षकों को राष्ट्र निर्माता के रूप में सम्मान देते रहना सर्वाधिक भाता था। तभी तो डॉक्टर कलाम एक बच्चे को हैदराबाद के राजभवन में फल देते हुए ‘ए फॉर एप्पल’ और ‘ओ फॉर ऑरेंज’ सिखाते हैं और मेरे जैसे साधारण शिक्षक को मुलाकात हेतु बुलाए जाने पर देखते ही विनम्रता पूर्वक खड़े हो जाते हैं जिसे वे राष्ट्र निर्माता शिक्षक को सम्मान देना बताते हैं।”
आज भी उस क्षण को याद कर डॉ.मधेपुरी रोमांचित हो उठते हैं। डॉ.मधेपुरी बार-बार यही कहते रहे कि कलाम युग-युग तक जीवित रहेंगे और सदैव एक महान शिक्षक बने रहेंगे। इस अवसर पर डॉ. रश्मि भारती, रेनू चौधरी, आदित्य, अक्षत उर्फ छोटे कलाम सहित सुरजन दर्पण के निदेशक व सहयोगी विकास कुमार, सुशील कुमार, रूपा-राखी-रितिका, मनीषा-अंजलि-पुष्पा सबों ने बारी-बारी से पुष्पांजलि की।