भारतीय स्वाधीनता आंदोलन के दौरान शिक्षक की नौकरी से त्याग पत्र तथा वकालत पेशे को तिलांजलि देना ईमानदारी और निर्भीकता से उपजे आत्मबल को ही तो दर्शाता है। मां के मंदिर में प्रवेश हेतु प्रशासन द्वारा दिए जा रहे पुलिसिया सहयोग को नकारना भी तो आत्मबल का ही परिचायक है। उक्त बातें डॉ.भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी ने बीएनएमयू संवाद में कही।
समाजसेवी-साहित्यकार डॉ.भूपेन्द्र मधेपुरी सोमवार को शिवनंदन प्रसाद मंडल: साधना एवं संघर्ष के तहत ऑनलाइन व्याख्यान दे रहे थे। इतिहास पुरुष शिवनंदन प्रसाद मंडल के आत्मबल से संबंधित व्याख्यान यूट्यूब चैनल बीएनएमयू संवाद पर पीआरओ डॉ.सुधांशु द्वारा आयोजित किया गया था। डॉ.मधेपुरी ने बताया कि अंग्रेजी सल्तनत में अंग्रेज हुक्मरानों को मुंहतोड़ जवाब देने में प्रवीण थे क्रांतिवीर शिवनंदन। उन्होंने अनेक रोचक उदाहरणों के द्वारा शिवनंदन प्रसाद मंडल के आत्मबल को आकाश से भी ऊंचा बताया और यह भी कहा कि अंग्रेज पदाधिकारियों को ईंट के बदले पत्थर जैसा जवाब देने में पैर पीछे कभी नहीं हटाया उन्होंने। डॉ.मधेपुरी ने उनके रिश्तेदारों अमरेश-पप्पू व रत्नेश- प्रो.प्रमोद से सहयोग लेकर उनके नाम वालेे स्कूल में उनकी प्रतिमा लगवाई और एसएनपीएम स्कूल के सदस्य बनने पर शिवनंदन मार्केट और शिवनंदन चौक बनवाया। उन्होंने सहयोग हेतु स्कूल प्रबंधन समिति के सदस्यों सहित तत्कालीन आपदा मंत्री सह अध्यक्ष प्रो.चन्द्रशेखर को हृदय से साधुवाद दिया।