Corona lockdown

है कोई जिसे कोरोना ने नहीं छुआ

हिन्दू-मुस्लिम, सिख-इसाई, जैन-पारसी… आदि धरती पर किसी भी धर्म को मानने वाला बच्चा, बूढा, नौजवान या महिला ही क्यों न हो, सभी कोरोना के कहर और कोहराम से किसी ना किसी रूप में कमोबेश प्रभावित अवश्य हुआ है। धरती पर विरले ही कोई होगा जो किसी ना किसी रूप में प्रभावित ना हुआ हो।

जब संसार के सभी यातायात के साधन बंद कर दिए गए- ट्रेन से लेकर प्लेन तक और मोटर से लेकर मेट्रो तक- तो फिर बचा कौन होगा जो प्रभावित ना हुआ होगा कोरोना से। मेडिकल में पढ़ने वाले सैकड़ों छात्रों की परीक्षा समाप्त हो गई। वे किर्गिस्तान के शहरों से घर वापसी की गुहार लगाते-लगाते थक चुके हैं, कोई उसके दर्द भरी आवाज को सुनने वाला नहीं।

कोरोना के चलते श्रद्धालु भक्तों को अपने इष्टदेव से मिलने नहीं दिया जाता। पटना व देवघर का शिव मंदिर तत्काल एक-एक महीना के लिए बंद कर दिया गया तो मधेपुरा जिला के सिंहेश्वर मंदिर में दो महीने के लिए ताला लगा दिया गया है। कोरोना ने ऐसा दहशत फैला दिया है कि जान-पहचान के करीबी लोगों को भी देख कर एक दूसरे को चाय पीने को नहीं कहता है। कुछ तो कोरोना सुनकर ही खुदकुशी कर लेता है जबकि रिपोर्ट आता है कि कोरोना नेगेटिव है। बच्चे माता-पिता से तथा भक्त भगवान से दूर होते जा रहे हैं तो बचा कौन जो कोरोना से अछूता है ?

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