इतिहास पुरुष क्रांतिवीर शिवनंदन प्रसाद मंडल : साधना और संघर्ष के बीएनएमयू संवाद के 8वें संवाद में इतिहासकार प्रो.(डॉ.)भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी ने राष्ट्रीय नायक का जेल से जिम्मेदारियों के निर्वहन से संबंधित विशेष जानकारियां दी। डॉ.मधेपुरी ने केंद्रीय कारा हजारीबाग एवं अन्य कारागृह से क्रांतिवीर शिवनंदन द्वारा अपनी पत्नी व पुत्री के नाम लिखे गए 1941 ईस्वी के पत्रों का हवाला देते हुए कहा कि वे जेल से व्यक्तिगत जिम्मेदारियों का ही नहीं बल्कि सामाजिक और राष्ट्रीय जिम्मेदारियों का भी बखूबी निर्वहन करते रहे।
डॉ.मधेपुरी ने 5 मई 1941 को केंद्रीय कारा हजारीबाग से लिखे गए उनके पत्र को पढ़कर सुनाते हुए कहा कि पत्र में जहां बेटी के पढ़ने की चर्चा थी वहीं गांव में मिडिल स्कूल खुला है या नहीं और चरखा का काम जारी है या नहीं- की खबर भी मिलती रहनी चाहिए का जिक्र था। दूसरे पत्र में जहां एक ओर टोले में कौन-कौन चरखा चलाते हैं वहीं दूसरी ओर यह भी कि ओवरसियर के द्वारा भागलपुर से रेशम के कीड़े मंगा सकते हो जो कीड़े अंडी के पत्ते खाते हैं।
डॉ.मधेपुरी सरदार पटेल, उनकी पुत्री, महावीर त्यागी, सुशीला नैयर आदि को संदर्भित करते हुए कहा कि इस तरह से जेल के अंदर रहते हुए अपनी पारिवारिक और सामाजिक एवं राष्ट्रीय जिम्मेदारियों का भली-भांति निर्वहन कोई शिवनंदन सरीखे क्रांतिवीर ही कर सकता है। यह वही महावीर है जिन्होंने अंग्रेजों को भगाने में अपनी राष्ट्रीय जिम्मेदारियों का संपूर्ण वफादारी के साथ निर्वहन करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी।