Guru Purnima 2020

गुरु पूर्णिमा आषाढ़ की पूर्णिमा को कही जाती है

गुरु पूर्णिमा आषाढ़ मास की पूर्णिमा को कही जाती है। गुरु पूर्णिमा वर्षा ऋतु के आरंभ में आती है। गुरु पूर्णिमा के दिन से 4 महीने तक साधु संत एक ही स्थान पर रहकर ज्ञान की गंगा बहाते हैं। इस बार 5 जुलाई को गुरु पूर्णिमा हो रही है।

बता दें कि इस बार समाज के अलग-अलग क्षेत्रों में सफलता के शीर्ष पर बैठे लोग अलग-अलग तरीके से अपने-अपने गुरु को याद कर रहे हैं। कोरोना संक्रमण के कारण गुरुओं की वंदना भी ऑनलाइन होने लगी है। यह भी जानिए कि आज के दिन ही चारों वेद व महाभारत के रचयिता कृष्ण द्वैपायन व्यास का जन्म हुआ था। वेदों की रचना करने के कारण इन्हें वेदव्यास भी कहा जाता है। वेदव्यास के सम्मान में ही आषाढ़ पूर्णिमा गुरु पूर्णिमा कही जाती है।

चलते-चलते बता दें कि प्रत्येक वर्ष गुरु पूर्णिमा के दिन मंदिरों में भारी भीड़ होती थी, परंतु इस बार तो कोरोना के कारण मंदिरों में खासकर बड़े-बड़े मंदिरों में तो ताला लटका हुआ है। जो भी हो, जीवन में हम जो कुछ भी प्राप्त करते हैं कहीं ना कहीं गुरु की कृपा का ही फल है। यूं तो गुरु कोई भी हो सकता है माता-पिता, भाई-दोस्त आदि जिनका नाम सुनते ही हृदय में सम्मान का भाव जग जाए। सम्मान का भाव प्रकट करने के लिए गुरु पूर्णिमा का दिन ही गुरु के लिए नहीं है बल्कि वर्ष के 365 दिनों में से प्रत्येक दिन गुरु हमारे लिए वंदनीय होते हैं।

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