भूपेन्द्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय के बीएनएमयू- संवाद पर पीआरओ डॉ.सुधांशु शेखर के माध्यम से लगातार व्याख्यान का आयोजन किया जा रहा है। शिवनंदन प्रसाद मंडल- साधना और संघर्ष के छठे संवाद में सुप्रसिद्ध साहित्यकार व शिक्षाविद् डॉ.भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी ने इतिहास पुरुष शिवनंदन की ईमानदारी के प्रति दृष्टिकोण को संदर्भित करते हुए कहा कि ईमानदारी एक ऐसी महाशक्ति है जो बड़े-से-बड़े तूफानों का भी मुकाबला कर लेती है और बड़ी-से-बड़ी भ्रष्ट अट्टालिकाओं को भी उखाड़कर फेंक देती है। डॉ.मधेपुरी ने कहा कि ब्रिटिश हुकूमत की विकट परिस्थितियों में इतिहास पुरुष शिवनंदन आंधी व तूफानों से ईमानदार मुकाबला करते हुए आजादी मिलने तक संघर्ष करते रहे और युवाओं से कहते रहे- जब तक जीवित रहूंगा आर्यावर्त के कल्याण में लगा रहूंगा, भारत की बेबस जनता जो नाना प्रकार के कष्ट भोग रही है उसका उद्धार करूंगा और आजादी के लिए प्राण न्योछावर करने की जरूरत पड़ेगी तो पैर पीछे नहीं हटाऊँगा।
संवाद के अंत में डॉ.मधेपुरी ने इतिहास पुरुष शिवनंदन और उनके पुत्रवत् खोखा बाबू के बीच हुए संवाद को उद्धृत करते हुए कहा- “बाबूजी, आप दो बार ब्रिटिश शासन काल में एमएलए बने व मंत्री रहे और फिर दो बार स्वतंत्र भारत में भी एमएलए बने व मंत्री रहे फिर भी हमें एक कोठरी पक्का मकान नहीं हुआ तो क्या हुआ, आपने ईमानदारी का जो दीया जला कर दिया है वही इस परिवार का पथ प्रदर्शक बनेगा। बाबूजी ! सरदार पटेल के पास भी एक कोठरी पक्का मकान नहीं था और उनके निधन के बाद पटेल साहब के खाते में कुल 268 रुपए थे। लोग आपकी तुलना लौह पुरुष सरदार पटेल से ही तो करेंगे।”